
सीएम योगी का कठोर एक्शन लेने का वादा

गोरखपुर में हुई भयावह दुर्घटना के बाद अब जांच जारी है l सीएम योगी के कड़े आदेश के बाद इस मामले में जांच की जा रही है, और इस जांच में अब नए खुलासे हो रहे हैं l सीएम योगी ने दोषियों के खिलाफ अब तक का सबसे कठोर एक्शन लेने का वादा भी किया है और शुरूआती जांच के बाद अब हादसे के लिए एक ऐसा नाम सामने आ रहा है, जिसे देख आप भी हैरान रह जाएंगे l
भ्रष्टाचार की चाबी प्रिंसिपल की पत्नी के हाथ

दरअसल जांच की जा रही है कि आखिर इतना बड़ा प्रशासनिक स्टॉफ होने के बावजूद मेडिकल कॉलेज से इतनी बड़ी चूक आखिर हुई तो हुई कैसे ? खुलासा हुआ है कि मेडिकल कॉलेज में फैले भ्रष्टाचार की चाबी तो दरअसल प्रिंसिपल डॉक्टर राजीव मिश्रा की पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला के हाथों में रहती है और पूरे भ्रष्टाचार का संचालन मैडम के हाथों से किया जा रहा था
मेडिकल कॉलेज के कुछ चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के मुताबिक़ मेडिकल कॉलेज का प्रशासनिक स्टॉफ तो बेचारा पूरा वक़्त मैडम का हुक्म बजाने में ही व्यस्त रहता है, वरना नौकरी से सीधे छुट्टी l मैडम घर बैठे-बैठे फ़ोन से ही तमाम आदेश जारी कर देती हैं और कॉलेज का पूरा स्टाफ प्रिंसिपल राजीव मिश्रा की पत्नी से परेशान रहता था l
अब तत्कालीन प्रिंसिपल साहब ने अपनी पत्नी को इतनी पावर क्यों दी हुई थी ये तो वही जानें, प्रिन्सिपल की मैडम का खौफ ऐसा कि मजाल है स्टाफ का कोई बन्दा चूं तक कर जाए l
जब सईंया भये कोतवाल तो डर कैसा
अब वो कहावत है ना कि जब सईंया भये कोतवाल तो डर कैसा, लिहाजा प्रिंसिपल साहब की पत्नी का वचन ही स्टाफ के लिए आदेश होता था l लूट का आलम कुछ ऐसा था कि सरकारी पैसों से करोड़ों की लूट तो हर साल होती ही थी, साथ में चिन्दी चोरों की तरह मैडम ने कॉलेज कैंपस में मूंगफली बेचने वालों तक से महीने के पैसे बांध रखे हैं l इससे पहले नॉन पीजी रेजीडेंट से अवैध वसूली के आरोप भी सामने आ चुके हैं l
सरकारी पैसों की लूट का एक और नमूना अब देखिये l गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में लिक्विड आक्सीजन की उपलब्धता काफी आसान है और सिलेंडर के मुकाबले ये आक्सीजन काफी सस्ती भी होती है l

खुलासा ये भी हुआ है कि लिक्विड आक्सीजन की कीमत सिलेंडर वाली आक्सीजन से करीब 35 फीसद कम है, इसके बावजूद कमीशन के चक्कर में प्रतिदिन तकरीबन सवा सौ सिलेंडर मंगवाए जाते रहे और हर सिलेंडर पर कट बंधा होता था l
बकाया 68.65 लाख,कॉलेज के खाते में थे 1.86 करोड़ रुपये जमा
लेकिन सिलेंडर ख़रीद फ़रोख़्त में घपला ऐसा की आदेश होता था कि 100 सिलेंडर में 40 ख़ाली लाना और गिनती भरे सिलेंडर के तर्ज़ पर होगा और ख़ाली सिलेंडर का भरे सिलेंडर रूप मे ही पेमेंट होगा और उस पैसे का कट क़द के हिसाब सबको बाँटा लिया जाएगा।
अगला खुलासा जो सामने आया है, वो तो और भी ज्यादा हैरान करने वाला है l मेडिकल कॉलेज को ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली पुष्पा सेल्स को 68.65 लाख रुपये का भुगतान करना था और कॉलेज के खाते में पहले से 1.86 करोड़ रुपये थे, इसके बावजूद प्रिंसिपल ने पेमेंट नहीं किया
11 अगस्त को बच्चों की मौत के बाद जब मामला मीडिया में पहुंच गया, तब जा कर सप्लायर को भुगतान किया गया l अस्पताल में ऑक्सीज़न नहीं है तो ऐसे में प्रिंसिपल को बिगड़े हालात को काबू में करने के लिए जी-जान लगा देना चाहिए था, लेकिन बच्चों की मौत होने पर वो तो सिस्टम को बेबस छोड़कर पतली गली से भाग निकले l
वैसे ख़बरें यहाँ तक हैं कि सप्लायर को पैसा न देने के लिए निर्देश लखनऊ से आए थे l अब सवाल उठता है कि आखिर लखनऊ में किसके कहने पर सप्लायर का पैसा रोका गया था और क्यों ???????