शादी दौड़ते हुए शुरू होती है, चलते हुए आगे बढ़ती है और घिसटते हुए पूरी होती है।गलत व्यक्ति से सही मुलाकात हो जाने की जो घटनाएं होती हैं उनमें से एक है शादी। स्त्री-पुरुष के मिलन में होने वाली बेमेल बातों को दूर नहीं किया जा सकता है तब तलाक जैसी घटनाएं सामने आने लगती हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि शादी के पांच साल के भीतर तलाक की बात करने वालों से ज्यादा वे हैं, जिनकी शादी को दस से बीस साल तक हो गए हैं। यह तो तय है कि विवाह का आरंभ कई गलतफहमियों से होता है। जब शादी का प्रस्ताव रखा जाता है, चाहे लड़का-लड़की स्वयं रखें या उनके परिवार वाले, तब अपना-अपना श्रेष्ठ ही प्रस्तुत किया जाता है। नि:कृृृष्ट बाद में नजर आता है और झंझट शुरू होती है। दरअसल, इस तकनीकी युग में विवाह करना आसान हो गया लेकिन, उसे निभाना उतना ही कठिन होता जा रहा है। यदि नौबत किसी भी हाल में साथ न रह सकने की हो तो एक-दूसरे को क्षमा करने की वृत्ति जरूर रखें। आप तलाक लेकर मार्ग बदल रहे हैं पर यदि स्वयं को नहीं बदला तो दूसरे और तीसरे के साथ भी ऐसा ही होना है।
कस्तूरी मृग उस सुगंध की तलाश में बाहर भागता है जो उसके भीतर ही होती है। दांपत्य में भी स्त्री-पुरुष एक-दूसरे से जो संतुष्टि चाहते हैं उसका बड़ा हिस्सा उनके भीतर होता है। चूंकि सारा मामला शरीर पर टिक जाता है इसलिए सामने वाले से उम्मीद बहुत ज्यादा हो जाती है और फिर कस्तूरी मृग की तरह भागते फिरते हैं। वह तृप्ति का स्वाद यदि भीतर जगा लिया जाए तो बाहर थोड़ी-बहुत अतृप्ति भी चल सकती है। वरना मंत्रों और सद्भाव से आरंभ हुए रिश्ते कोर्ट में वकीलों की दलीलों के बीच घसीटे जाएंगे।