अगर आपको लगता है कि आपके और आपके साथी के बीच बातचीत कम हो रही है या फिर आप विवाहेतर संबंध के बारे में सोच रहे हैं, तो फिर शादी सलाहकार से परामर्श जरूर लें.
रिलेशनशिप काउंसलर और मोटिवेशनल स्पीकर अनिल सेठी ने शादी के संबंध में पेशेवर सलाहकारों से कब परामर्श करना चाहिए, इस बारे में ये सुझाव दिए हैं :
* पति-पत्नी के बीच संवाद कायम रहना बेहद जरूरी है. बातचीत नाकरात्मक, तनावपूर्ण या अनुचित हो सकती है, लेकिन अगर दोनों के बीच बच्चों से संबंधित बातों के अलावा और कोई बात नहीं हो रही है, तो फिर इसका मतलब है कि पेशेवर सलाहकारों से परामर्श करने का समय आ गया है.
* अगर साथी किसी दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे या विवाहेतर संबंध के बारे में सोचने लगे, तो फिर यह इस बात का साफ संकेत है कि दोनों को एक-दूसरे में कोई दिलचस्पी नहीं है.
* दोनों के बीच मतभेद होने पर यह न समझ पाएं कि इसे कैसे सुलझाया जाए.
* जब दंपति के बीच रोज बहस होने लगे और मुद्दों पर असहमति दिखें.
* जब दंपति साथ रहने और एक-दूसरे के परिवार का सम्मान करने में असमर्थ महससू करें.
* अधिकांश महिलाएं परी कथाओं जैसी शादी के सपने देखती हैं और पुरुषों को भी शादी से कुछ अपेक्षाएं होती हैं, लेकिन जब दोनों या किसी एक की उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती हैं और उनके बीच लगाव कम हो जाता है तो फिर जरूर परामर्शदाता के पास जाना चाहिए.
* बच्चों की परवरिश के संबंध में अलग-अलग राय होने से भी दंपति के बीच मतभेद उभर सकते हैं.
* ऐसा माना जाता है कि अच्छे दोस्त अच्छे जोड़े बन सकते हैं. जब भी आप एक जीवनसाथी के रूप में कमजोर महसूस करें तो दोस्त बनकर अपने साथी से बात करें. अगर दोस्ती का रिश्ता भी खत्म होता लगे तो फिर विशेषज्ञों का शीघ्र हस्तक्षेप ही शादी को बचा सकता है.
* किसी भी रिश्ते में आपसी सम्मान होना बेहद जरूरी है और जब एक-दूसरे के प्रति मन में सम्मान कम होने लगे तो फिर पेशेवर सलाहकार की मदद जरूर लें.
* जब दंपति एक दूसरे से बातें राज रखने लगे और पता चलने पर पूछने में संकोच करें तो उन्हें सलाहकार के पास जाना चाहिए.
* जब दंपति झगड़कर सोने जाए और दोनों के बीच अंतरंग संबंध नहीं बने, ऐसे हालात में कड़वाहट बढ़ने पर घर के किसी बड़े सदस्य या शादी सलाहकार से जरूर परामर्श करें.