कोरेगांव हिंसा के तार उत्तराखंड से जुड़े, मिला प्रशांत राही का पत्र !


देहरादून। राष्ट्रीय स्तर पर हो रही वामपंथी साहित्यकारों की गिरफ्तारी के तार उत्तराखंड से जुड़ रहे हैं। उत्तराखंड में भी एक तथाकथित प्रबुद्ध वर्ग के व्यक्ति प्रशांत राही जो वर्षों से जेल में है, का पत्र इन विचारकों के पास मिला है। जो इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं इस घटनाक्रम के तार उत्तराखंड से जुड़े हुए हैं। महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में वामपंथी विचारकों की तथाकथित उत्पीड़न और गिरफ्तारी के बाद उत्तराखंड में भी हलचल है। यहां के कुछ विचारकों पर पुलिस की निगाह है। इसका कारण इन वामपंथी नेताओं के पास से जो पत्र मिले हैं उनमें एक पत्र माओवादी नेता प्रशांत राही का भी है। प्रशांत राही को माओवाद के आरोप में उत्तराखंड पुलिस ने ही ही गिरफ्तार किया था जो इस समय महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
महाराष्ट्र पुलिस ने भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा और पीएम नरेन्द्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में 5 वामपंथी नेताओं को गिरफ्तार किया। इनके पास से पुलिस को जो दस्तावेज और पत्र मिले हैं उनमें से एक पत्र उत्तराखंड में सक्रिय रहे माओवादी प्रशांत राही का भी है जो यहां पत्रकारिता में सक्रिय था और माओवाद से जुड़कर इस गतिविधियों को प्रश्रय देता था। माओवादी संगठनों ने विघटन के लिए करीब 45 लाख रुपये जमा भी कराए हैं।
तथाकथित पत्रकार प्रशांत राही साल 2004 में कुमाऊं में पहली बार माओवादी शिविर चलाने के बाद पुलिस की नजरों में आया। 2007 में उत्तराखंड पुलिस ने उसे ऊधमसिंह नगर से गिरफ्तार किया। फिलहाल वह गढ़चिरौली की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। प्रशांत राही जेल में होने के बावजूद विघटनकारी माओवादी विचारधारा की लड़ाई लड़ रहा है। अपने भेजे गए पत्र में उसने इन तथाकथि बुद्धिजीवियों से कहा था कि जेल में माओवादियों के साथ अत्याचार हो रहा है वह इसका सर्वे करा इसकी रिपोर्ट तैयार कराना चाहता है। इस रिपोर्ट को उसने इंटरनेशनल पीपल्स ट्रिब्यूनल (आईपीटी) में भेजने की बात भी प्रशांत राही ने अपने पत्र में कही थी जो इन तथाकथित बुद्धिजीवियों के पास मिला है। यह इस बात का संकेत है कि कोरेगांव की घटना के तार उत्तराखंड से जुड़ रहे हैं।

 

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