जरुरी नहीं की हर पढ़ा लिखा आदमी आमिर हो , या अमीर आदमी पढ़ा लिखा ही हो .. अगर बात करे औरतों की हिम्मत अफ़ज़ाई की तो, उन्हें पता होता है की पैसे कैसे कमाए जाते है और घर कैसे चलाया जाता है .
बात करेंगे हम राजस्थान जिले की महिला यूनिट के बारें में , जो कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद अपने परिवार का खर्चा चलाने के साथ समाज की मदद कर रही है वहीं दूसरी ओर अपने हुनर के बलबूते देश-विदेश में भारत का नाम भी रोशन कर रही हैं.
राखी का त्यौहार देश भर में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. वहीं रक्षाबंधन का ये त्योहार राजस्थान के अलवर ग्रामीण क्षेत्रों की 10 हजार महिलाओं को सालभर का रोजगार देता है. ये महिलाएं ज्यादा पढ़ी- लिखी नहीं हैं, जिस वजह से इन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल पाती.
ऐसे में राखी बनाने से ये अपने परिवार का साल भर का खर्चा उठा लेती हैं. इन सभी महिलाओं की बनाई हुई राखियां शहर से विश्व के 24 देशों में सप्लाई की जाती है. सालाना इनकी बनाई राखियों पर 100 करोड़ की कमाई होती है. बता दें कि राखी बनाने वाले 13 प्रतिष्ठान महिलाओं से राखी बनवाते हैं.
इवही इनकी बनाई राखियों की डिमांड काफी होती है यहां 2 रुपये से लेकर 200 रुपये तक की राखियां तैयार की जाती है. एक से एक सुंदर और डिजाइन वाली राखियां ये महिलाएं ही तैयार कर देती हैं. हालांकि ये कम पढ़ी-लिखी हैं, लेकिन राखी का डिजाइन कैसा होना चाहिए ये बखूबी जानती है.