किसे मानते थे चाणक्य सबसे बड़ा शत्रु

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indexचंद्रगुप्त को चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य बनाने वाले आचार्य चाणक्य एक महान शिक्षक, दार्शनिक और ज्ञाता थे। इन सबके अलावा आचार्य चाणक्य को नीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र का जनक भी कहा जाता है क्योंकि उनके तर्कों के आगे कोई नहीं ठहरता था। आज भी बहुत से लोग आचार्य चाणक्य की नीतियों को अपना आदर्श मानकर उन्हीं पर अपना जीवन व्यतीत करते हैं। आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य ने जीवन के विषय में ऐसा क्या कहा जो लोगों के लिए आदर्श बन गया।

ऋण

ऋण इंसान का सबसे बड़ा शत्रु होता है। अगर खुशहाल जीवन व्यतीत करना है तो व्यक्ति को ऋण की एक-एक पाई तक चुका देनी चाहिए।

वर्तमान की सोच

मनुष्य जाति को अपने भविष्य या अतीत के बारे में नहीं सोचना चाहिए। केवल वर्तमान के विषय में सोचकर अपने जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

व्यवसाय के राज

व्यवसाय से जुड़े अपने राज किसी भी व्यक्ति के साथ बांटने नहीं चाहिए, भले ही वह आपसे कितना ही निकट क्यों ना हो। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपका विनाश निश्चित है।

नजदीकी

अगर कोई व्यक्ति आपका बहुत नजदीकी है, तो वह भले ही आपसे कितना ही दूर क्यों ना हो, हमेशा आपके दिल के पास रहता है। लेकिन एक बार कोई दिल से उतर जाए तो दूरी ना होने के बाद भी वह कभी नजदीकी नहीं बन सकता।

हकदार

अपने धन को किसी ऐसे व्यक्ति को ही दें, जो वाकई उसकी कद्र करना जानता हो।

डर पर जीत

अपने डर से कभी भयभीत नहीं होना चाहिए। अगर आपको किसी बात का भय है तो उसका सामना कर उसे जड़ से समाप्त कर दीजिए।

ईमानदारी का नतीजा

सीधा खड़ा वृक्ष सबसे पहले कटता है। इसका अर्थ है कि बहुत ज्यादा ईमानदारी भी घातक सिद्ध हो सकती है, विनाश का कारण बन सकती है।

दूसरों की गलतियां

आपकी जिन्दगी इतनी बड़ी नहीं है कि गलती कर-कर के सीख लें। दूसरों की गलतियों को देखो, उन्हें समझो और उनसे सीख लो।

आचार्य चाणक्य को काफी कठोर नीतिकार कहा जाता था। उनकी कठोर शिक्षा और परीक्षण ने एक सामान्य से बालक को सम्राट बना दिया था। चाणक्य की ये शिक्षाएं किसी के लिए भी संजीवनी का कार्य कर सकती हैं।

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