भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कृषि ऋण माफी के लिए केंद्र का मुंह ताक रहे राज्यों को दो टूक जवाब दिया है। अरुण जेटली ने साफ़ कर दिया है की किसानो की ऋण माफी का खर्च राज्यों को अपने खजाने से उठाना होगा और केंद्र इस मामले में राज्य सरकार की कोई मदद नहीं करेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब कल ही महाराष्ट्र ने किसानों का फसल ऋण माफ करने की घोषणा की है और दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में किसान कर्ज माफी की मांग करते हुए आन्दोलन कर रहे हैं। वही सूत्रों के हवाले से खबर यह भी थी की उत्तराखंड सरकार भी जल्द ही किसानो के ऋण माफ़ी की घोषणा कर सकती है, जैसा की विदित है उत्तर प्रदेश सरकार ने छोटे और मझोले किसानों के कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की थी।
किसानो का ऋण माफ़ करने के बाद योगी सरकार के इस निर्णय से राज्य के खजाने पर लगभग 36,359 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है। अब इसी कर्ज माफी से पड़ने वाले भारी बोझ को देख कर ही राज्य केंद्र से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन अरुण जेटली ने साफ़ कर दिया है की केंद्र इस मामले में राज्यों की कोई मदद नहीं करेगा अब इस स्थिति में किसानो की स्थिति टेनिस की गेंद की तरह हो गयी है जिसे एक पाले से दुसरे पाले में डाला जा रहा है ।