मां दुर्गा की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों का आरंभ वर्ष 28 मार्च 2017 के दिन से होगा। इसी दिन से हिंदु नवसंवत्सर का आरंभ भी होता है। इस बार चैत्र नवरात्र 28 मार्च, मंगलवार से शुरु होकर 5 अप्रैल, बुधवार को रामनवमी के साथ समाप्त होगे।
नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। जिसके साथ ही मां दुर्गा की अराधना की शुरुआत होती है। अगर आप भी अपने घर में घट स्थापना कर रहे है, तो जानिए इस पूजा विधि और मुहूर्त के बारें में।
ऐसे करें घट स्थापना
सबसे पहले एक साफ जगह पर मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर अपनी इच्छानुसार सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति रखें। मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी, कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें।
इसके बाद कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें। दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक रोजाना करना चाहिए।
ये है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
इस बार घटस्थापना 8 बजकर 26 मिनट से लेकर 10 बजकर 24 मिनट तक का है। नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। जानिए और दिनों के बारें में।
29 मार्च: दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।
30 मार्च: तीसरे दिन देवी दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की आराधना की जाती है।
31 मार्च: चौथे दिन स्वरूप देवी कूष्मांडा जी की आराधना की जाएगी।
1 अप्रैल: पांचवें दिन भगवान कार्तिकेय की माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है।
2 अप्रैल: छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है।
3 अप्रैल: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है।
4 अप्रैल: आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं।
5 अप्रैल: नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है। सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जाता है।