लंदन: वर्कप्लेस पर टॉर्चर किए जाने का इफेक्ट पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग तरह से पड़ता है. इसकी वजह से जहां महिलाएं लंबी सिक लीव पर चली जाती हैं या डिपेशन की दवाइयां लेती हैं, तो पुरुष कुछ समय के लिए नौकरी छोड़ देते हैं.एक नई रिसर्च में ये बात सामने आई है.
किसने की ये रिसर्च-
शोधकर्ताओं ने कहा कि यह जानकर हैरानी हुई कि टॉर्चर किए जाने से पुरुषकर्मी सिक लीव नहीं लेते.डेनमार्क के आरहूस यूनिवर्सिटी के बिजनेस और सोशल साइंस स्कूल के प्रोफेसर टिने मुंडबर्ग एरिक्सन ने कहा कि वास्तव में ऐसा लगता है कि महिलाओं की तुलना में टॉर्चर किए जाने वाले पुरुष काम पर जाना पसंद करते हैं, जबकि वास्तविक रूप से वे परेशान होते हैं.
टॉर्चर का सैलरी पर भी इफेक्ट-
उन्होंने कहा कि साथ ही, टॉर्चर किए जाने का पुरुषों की सैलरी पर नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है. इससे संकेत मिलता है कि टॉर्चर किए जाने से उनकी सैलरी ग्रोथ और प्रमोशन के अवसर प्रभावित होते हैं.
काम पर भी पड़ता है इफेक्ट-
उन्होंने कहा कि एक तरह का टॉर्चर यह भी है कि आपके सहकर्मी या आपके टीम लीडर आपके काम करने की क्षमता में बाधा डालते हैं या महत्वपूर्ण कार्य दूसरे को दे देते हैं.
कैसे की गई ये रिसर्च-
इस रिसर्च के लिए प्राइवेट और सरकारी फील्ड के 3,000 लोगों को शामिल किया गया. इसमें सात फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें टॉर्चर किया गया. इनमें 43 फीसदी पुरुष थे.
रिसर्च के नतीजे-
एरिक्सन ने कहा कि लाख टके का सवाल यह है टॉर्चर के चलते पुरुष ऑफिस छोड़ देते हैं, जबकि महिलाएं लंबी सिक लीव पर चली जाती हैं. इससे स्पष्ट होता है कि पुरुष तथा महिलाएं टॉर्चर से अलग-अलग तरीके से निपटती हैं.”
यह शोध का पत्रिका ‘जर्नल ऑफ लेबर इकोनामिक्स’ में प्रकाशित किया गया है.