क्या कोई इंटरनेट गेम किसी की जान ले सकता है?
अभी तक तो लगता था कि ऐसा नहीं हो सकता, लेकिन पहले पोकेमोन गो ( Pokemon Go) और अब ये ब्लू वेल (Blue Whale) .ब्लू वेल नाम के इस गेम ने लगभग 250 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. इनमें अकेले रूस में 130 से ज्यादा मौतें हुई हैं. इसके अलावा पाकिस्तान और अमेरिका समेत 19 देशों में इस गेम के कारण खुदकुशी के कई मामले सामने आए हैं.
अब इन जान गंवाने वाले लोगों की लिस्ट में अपने देश का भी नाम शामिल हो गया है. 30 जुलाई को मुंबई में जिस 14 साल के लड़के ने सातवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी थी, बताया जा रहा है कि वो ब्लू वेल गेम खेल रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक अंधेरी ईस्ट का रहने वाला मनप्रीत साहस 9वीं क्लास में पढ़ता था. शनिवार को उसने सातवीं मंजिल से कूदकर जान दे दी. गेम की आखिरी स्टेज में प्लेयर को खुदकुशी करने के लिए कहा जाता है और उस लड़के ने खुदकुशी कर ली.
इंटरनेट पर खोजा था छत से कूदने का तरीका –
सुसाइड केस की जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मनप्रीत ने छलांग लगाने से पहले इंटरनेट पर सर्च किया था कि छत से छलांग कैसे लगाई जाती है. मनप्रीत ने शुक्रवार को ही दोस्तों को बता दिया था कि वो सोमवार को स्कूल नहीं आएगा. शनिवार को छलांग लगाने से पहले मनप्रीत ने करीब 20 मिनट तक घर की छत पर बैठकर अपने दोस्तों से बात की. मनप्रीत ने गेम के आखिरी टास्क को लेकर छत से छलांग लगाने का भी जिक्र किया. उसने चैटिंग में लिखा कि अब आप लोग मुझे सिर्फ तस्वीरों में ही देखोगे, लेकिन किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया. बाद में पता चला कि उसने खुदकुशी कर ली.
पड़ोसी ने कहा था, ‘नीचे उतरो’
जांच टीम में शामिल एक अफसर के मुताबिक मनप्रीत जब छत से कूदने गया था , तो दूसरी बिल्डिंग के एक शख्स ने उसे देख लिया था. उसने मनप्रीत से नीचे उतरने के लिए भी कहा था. पुलिस अधिकारी के मुताबिक मनप्रीत ने इस बात का जिक्र गेम के एडमिन से भी किया था, लेकिन एडमिन उसे आत्महत्या करने के लिए उकसाने में सफल रहा.
कुछ बात जानते हैं इस खौफनाक गेम के बारे में ..
50 स्टेज में पूरा होता है गेम ;
द ब्लू वेल गेम को 2013 में रूस से फिलिप बुडेकिन ने बनाया था. इस खेल में एक एडमिन होता है, जो खेलने वाले को अगले 50 दिन तक बताते रहता है कि उसे आगे क्या करना है. अंतिम दिन खेलने वाले को खुदकुशी करनी होती है और उससे पहले एक सेल्फी लेकर अपलोड करनी होती है.
अजीबो-गरीब होते हैं टास्क
गेम खेलने वाले को हर दिन एक कोड नंबर दिया जाता है, जो हॉरर से जुड़ा होता है. इसमें हाथ पर ब्लेड से F57 लिखकर इसकी फोटो अपलोड करने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा हर रोज के खेल के लिए एक कोड होता है, जो सुबह चार बजे ही ओपन हो सकता है. इस गेम का एडमिन स्काइप के जरिए गेम खेलने वाले से बात करता रहता है. हर टास्क के पूरा होने पर हाथ में एक कट लगाने के लिए कहा जाता है और उसकी फोटो अपलोड करने को कहा जाता है. गेम का विनर उसे ही घोषित किया जाता है, जो अंतिम दिन जान दे देता है.
गेम छोड़ने पर मिलती है धमकी;
अगर किसी ने एक बार गेम खेलना शुरू कर दिया, तो वो इसे बीच में नहीं छोड़ सकता. एक बार गेम शुरू हो जाने पर गेम खेलने वाले का फोन एडमिन हैक कर लेता है और फोन की सारी डिटेल उसके कब्जे में आ जाती है. अगर कोई बीच में गेम छोड़ना चाहे, तो एडमिन की तरफ से धमकी मिलती रहती है कि उसे या फिर उसके माता-पिता को जान से मार दिया जाएगा.
जेल में है गेम बनाने वाला –
यह गेम 2013 में रूस में बना था, लेकिन सुसाइड का पहला मामला 2015 में आया था. इसके बाद गेम बनाने वाले फिलिप को जेल भेज दिया गया. जेल जाने के दौरान अपनी सफाई में फिलिप ने कहा था कि ये गेम समाज की सफाई के लिए है. जिन लोगों ने भी गेम की वजह से आत्महत्या की, वो बॉयोलॉजिकल वेस्ट थे.
पोकेमॉन गो ने भी मचाया था हंगामा
पिछले साल गेम्स की दुनिया में पोकेमॉन गो ने हंगामा मचाया था. ये जानलेवा भले नहीं था, लेकिन बहुत सारे लोग काम-धाम छोड़कर पोकेमॉन पकड़ने के लिए निकल जाते थे. हालांकि, कुछ महीनों बाद इसके क्रेज में कमी आ गई है.
भारत में अब भी ये गेम आधिकारिक तौर पर लॉन्च नहीं हुआ है.