रवांई घाटी नकदी व पारंपरिक फसलों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन यहाँ पर लगभग दो दर्जन नलकूप लिफ्ट परियोजनाएं की स्थिति जर्जर हैं। विभागों के पास इनकी देखभाल और मरम्मत के लिए बजट नहीं हैं।
पिछले एक साल से यह सभी नलकूप भगवन भरोसे हैं । आपको बता दे कि 1-1 करोड़ की लागत से बनी पोरा, रामा, धेवरा, नेत्री, श्रीकोट, सौंदाडी परियोजनाएं मरम्मत के अभाव में क्षमता के अनुरूप पानी ही नहीं दे रही हैं।
मई-जून में धान रोपाई होनी हैं और अब इस स्थिति में २४ गांव के किसानों को धान रोपाई को बरसात का इंतजार करना पड़ता है। । दूसरी ओर दैनिक कर्मचारियों का कहना है कि वे दिन रात नलकूपों की देखरेख करते हैं। 1500 से 2500 रुपये प्रतिमाह मानदेय तय है, किंतु पिछले डेढ़ वर्ष से किसी भी कर्मचारी को मानदेय ही नहीं मिला हैं ।