
नेतृत्व परिवर्तन की सुगबुगाहट से लेकर खाली पडे़ मंत्रियों के दो पद और दायित्व तक की सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। विधायकों की दिल्ली में मौजूदगी से उत्तराखंड में हलचल मच रही है। दरअसल भाजपा के कुछ विधायक पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रियों से मिले थे। इस दौरान ऑल वेदर रोड से लेकर कई अन्य मामले उठाए गए थे। महाराज ने इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी।
लेकिन जब सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का अचानक से दिल्ली जाने और अमित शाह से मिलने का कार्यक्रम बना, अटकलों का बाजार गर्म होने लगा। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरों में कहा जा रहा है कि त्रिवेंद्र सरकार के काम-काज से विधायक नाखुश नजर आ रहे हैं और इसकी शिकायत विधायकों ने बीजेपी आला-कमान से की है। वहीं, कुछ खबरों में मंत्रियों के खाली पद और दायित्वों से पूरे मामले को जोड़ा जा रहा है।
त्रिवेंद्र सरकार के नौ महीने के कार्यकाल में दायित्व न बंटने से पार्टी नेताओ में बेचैनी तो हैं ही, लेकिन दिल्ली में विधायकों के पहुंचने से तरह-तरह की अटकले लगाई जा रही है। पार्टी नेताओ के सूत्रों के मुताबिक भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तक पूर्व में यह बात तो पहुंची थी, लेकिन सभी नेतागण गुजरात और हिमाचल चुनावों में व्यस्त हो गए। ऐसे में उत्तराखंड में मंत्री पद व दायित्वों के बंटवारे का मसला अटक गया। माना जा रहा है कि इन दोनों राज्यों में भाजपा सरकारों के शपथ ग्रहण के बाद इस मसले पर बैठक होगी, जिसमें फैसला लिया जाएगा।