शीतकालीन अवकाश के तहत प्रदेश के सभी सरकारी स्कूल बंद है, लेकिन शीतकालीन अवकाश के बावजूद सरकारी स्कुलो के प्रधानाचार्यों का मिजाज गर्माया हुआ है.. प्रदेश के 915 राजकीय स्कूलों के प्रधानाचार्य अपनी 7 सूत्रीय मांगों को लेकर शनिवार से शिक्षा निदेशालय में विरोध–प्रदर्शन के ज़रिये अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे.दरअसल पहले भी कई बार सरकार की तरफ से प्रधानाचार्यों की मांग पूरी करने का आश्वासन सरकार की तरफ से मिल चुका है, लेकिन अब तक मांगें पूरी नहीं हुई है. इसलिए इस बार अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रधानाचार्य आर–पार की लड़ाई लड़ने के मूड में दिख रहे हैं.
हालांकि प्रधानाचार्यों के इस आंदोलन से स्कूलों में पठन पाठन का काम प्रभावित नहीं होगा क्योंकि इन दिनों स्कूलों में शीतकालीन अवकाश के तहत स्कूल बंद है. प्रदेश के 580 स्कूलों में खाली पड़े प्रधानाचार्यों के पदों को पदोन्नति के ज़रिए जल्द से जल्द भरने की मांग कर रही है.इसके अलावा प्रधानाचार्यों की यह भी मांग है कि जिन 70 से 80 प्रधानाचार्यों को उप शिक्षा अधिकारी और खण्ड शिक्षा अधिकारी की ज़िम्मेदारी दी गई है उन्हें कार्यमुक्त किया जाए.
इसके अलावा गंभीर बीमारी से ग्रस्त प्रधानाचार्यों के स्थानांतरण करने की मांग के साथ एससीईआरटी और डायट में सृजित प्रधानाचार्यों, निदेशक, उपनिदेशक के पदों पर प्रशासनिक अधिकारी संवर्ग के ही व्यक्तियों की नियुक्ति करने की मांग प्रधानाचार्य कर रहे है.एसोशिसन के पदाधिकारियों का कहना कि शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने सभी मांगों को मानने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक उनकी एक भी मांग पूरी नहीं हुई. ऐसे में उनके सामने अपनी मांगे मनवाने के लिए आंदोलन के सिवाय कोई रास्ता नहीं है….