आज कल बढ़ गया है कछुए वाली अंगूठी पहनने का चलन, भगवान विष्णु का अवतार है कछुआ, इन कारणों में पहनना माना जाता शुभ……

इन दिनों अक्सर आपकों कई लोगों के हाथ में कछुए वाली रिंग देखने को मिलती होगी। जयोतिषों के अनुसार कछुआ भगवान विष्णु का अवतार होता है और जिन्हें पैसों की समस्या होती है या जिनकी जेब में पैसा टिकता नहीं है, उधार दिया पैसा मिलता नहीं है, ऐसे लोगों के लिए कछुए वाली अंगूठी पहना शुभ माना जाता हैं। कछुए के रुप में भगवान विष्णु ने अवतार लिया था। कछुआ स्थिरता का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इसकी गति धीमी होती है और उम्र बहुत लंबी होती है। इसे वास्तु में विशेष स्थान मिला हुआ है। घर में लक्ष्मी के स्थायी निवास के लिए कछुआ या इसकी मूर्ति रखने की सलाह भी दी जाती है।

कूर्म यानी कछुआ। भागवत महापुराण में कथा है कि जब देवता और दानवों ने अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन का निर्णय लिया। मदरांचल पर्वत को मथनी और वासुकी नाग को रस्सी बनाकर समुद्र को मथा गया। जब मदरांचल पर्वत समुद्र में स्थिर नहीं हो रहा था तब भगवान विष्णु ने कछुए का रुप लेकर समुद्र के अंदर उसे अपनी पीठ पर रखा था। भगवान के इसी रूप को कूर्म या कश्यप अवतार कहा गया है।आप धन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए अपने हाथ की इंडेक्स फिंगर या रिंग फिंगर में कछुए वाली अंगूठी पहन सकते हैं। इससे ऐसा नहीं होगा कि कोई धन की बारिश हो जाएगी लेकिन आपको धन के मामलों में जो रुकावटें आ रही हैं वो दूर हो जाएंगी।ऐसे पहने कछुए वाली अंगूठी

 

एक दिन पहले चांदी की कछुआ अंगूठी खरीद कर ले आएं। इसे कच्चे दूध या गंगा जल में डुबो कर घर के मंदिर में रख दें। भगवान विष्णु और कश्यप (कूर्मावतार) का ध्यान करें। 11 बार ऊँ श्रीं कुर्माय नमः मंत्र का जाप करें और कूर्म भगवान से प्रार्थना करें। दोपहर 12 से 12.30 के बीच अभिजीत मुहूर्त में अपने सीधे हाथ की इंडेक्स या रिंग फिंगर में अंगुठी पहन लें।

 

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