सरकार की चुनावी तैयारियों पर क्या कहते हैं सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता
देहरादून। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के बाद 60 गांवों को नगर निगम में शामिल न करने के आदेश के बाद नगर चुनाव पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। शासन ने इससे पहले भी बाजपुर नगर निकाय में तीन गांवों को शामिल करने की घोषणा की थी। अधिसूचना जारी करने के बाद नौ गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव किया गया। आपत्ति के बाद यह संख्या पांच कर दी गई। अंत में तीन गांवों को शामिल करने की सूचना हुई और तीन गांव ही शामिल हो पाए। ठीक यही स्थिति नगर निगम देहरादून में भी हो रही है जिसके कारण स्थिति काफी गंभीर हो गई है। न्यायालय में मामला होने के कारण चुनाव देरी से होंगे। यह भी बात तय है। 3 मई 2018 को निकाय बोर्डों का कार्यकाल खत्म हो गया था। इसके बाद प्रशासक नियुक्त हुए और लगातार चुनावों की अटकले चल रही है। नगर निगम में 60 गांव शामिल किए जाने की अधिसूचना के मामले में अब सरकार न्यायालय के निर्णय का अध्ययन कर रही है। हाईकोर्ट में मजबूती से पैरवी किए जाने का निर्णय लिया गया है। इस संदर्भ में अलग-अलग राजनेताओं की अलग-अलग मान्यता है।
भारतीय जनता पार्टी के महानगर अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेताओं में से एक विनय गोयल का मानना है कि भाजपा चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस और उसके सहयोगी कहीं न कहीं जानबूझ चुनावी प्रक्रिया में बाधा पहुंचा रहे हैं। चाहे न्यायालय में याचिका दायर करना हो या अन्य मामले। इसका कारण उनकी अब तक तैयारी न होना है। भाजपा महानगर अध्यक्ष श्री गोयल मानते हैं कि उच्चतम न्यायालय नैनीताल का निर्णय अब तक नहीं आ पाया है। निर्णय की प्रति मिलने के बाद उसका अध्ययन करने के बाद ही कोई टिप्पणी की जाएगी। उनका कहना है कि शहर के आसपास के गांव पूरी तरह शहरीकृत हो चुके हैं। उन्हें भी सुख सुविधाएं चाहिए। इसके लिए सरकार ने 60 गांवों को नगर निगम में शामिल करने का निर्णय लिया था। हम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हैं लेकिन अध्ययन के बाद ही कोई टिप्पणी की जा सकती है पर हमारी सरकार चुनाव के लिए पूरी तरह कृत संकल्प हैं। कानूनी बाध्यताएं हटने के बाद चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी जिसका लाभ आसपास के गांवों को मिलेगा।
इसी संदर्भ में समाजवादी विचारों के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के अभिन्न लोगों में से रहे वरिष्ठ नेता हरवीर सिंह कुशवाहा का कहना है कि हो सकता है मैं गलत हूं और भाजपा चुनाव को तैयार हो लेकिन भाजपा की तैयारियों और कार्यक्रमों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वह अभी चुनाव को तैयार नहीं है और अभी चुनाव नहीं चाहती। संभवत: यह चुनाव संसदीय चुनाव के बाद होंगे। इसके पीछे स्मार्ट सिटी बनने के लिए आने वाले 8-10 हजार करोड़ रुपये का बजट है जिस पर हर दल की निगाह है। श्री कुशवाहा का कहना है कि इन चुनावों का असर संसदीय चुनावों पर पड़ेगा। इसीलिए सत्ता दल हर प्रकार की सावधानी बरत रहा है और चुनाव को रोकना चाहता है। मुझे लगता है कि वर्तमान में सत्तारुढ़ दल की चुनाव की मंशा नहीं है। फिलहाल नवंबर तक चुनाव होने की संभावना नहीं है।