हरिद्वार ; आज के दौर में हर युवा की जुवान पर रोलमोडल के रूप में उत्तराखंड के आईएएस दीपक रावत का नाम सबसे पहले आता है। दीपक जितने दंबग अधिकारी के नाम से जाने जाते हैं उतने ही वह दरियादिली भी हैं, वह अपनी हर छोटी-बड़ी खुशियों को लोगों के साथ मिल जुलकर तो बांटते ही हैं । अंत्यत सरल और सौम्य स्वभाव के हरिद्वार डीएम दीपक रावत ने इस बार अपना जन्मदिन नेत्रहीन बच्चों के साथ मनाया। उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर केक काटा। रविवार को अपना जन्मदिन उत्तरी हरिद्वार स्थित अजरानंद अंध विद्यालय में मनाया।
इस दौरान उन्होंने नेत्रहीन बच्चों के साथ जन्म दिन की खुशियां बांटी। केक काटकर उन्हें केक और भोजन कराया। तथा उपहार भी बांटे। बच्चों ने जिलाधिकारी को जन्मदिन की बधाई दी। और कहा कि डीएम अंकल आप बड़े अच्छे है। वहीं इनके काम और एक्शन की लोग जमकर तारीफ करते हैं। ये ऐसे अधिकारी हैं जिनके काम के बारे में सुन लोग गूगल कर इनके बारे में पढ़ना चाहते हैं। ये हैं वर्तमान में हरिद्वार जिले की कमान संभाल रहे आईएएस दीपक रावत। इन्हें अगर उत्तराखंड का सबसे चहेता अधिकारी कहें तो शायद गलत नहीं होगा।
बता दें कि पिछले दिनों जिलाधिकारी दीपक ने हरिद्वार में मौजूद महिला कैदियों के साथ रक्षाबंधन मनाया। बारी-बारी से कई महिला कैदियों के हाथों से राखी बंधवाई और उनका मुंह भी मीठा किया। इतना ही नहीं डीएम का गाना सुनकर वहां उपस्थित महिला कैदियों की आखों में आॅसू भी आ गए।
अपने अधिकारी का यह रुप देखकर आस-पास खड़े तमाम कर्मचारियों और अधिकारियों ने भी उन के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया। जाते-जाते तमाम कैदियों से मिलने के बाद डीएम दीपक रावत तो वहां से चले गए, लेकिन कैदियों ने उनके जाते-जाते भरे सुर में ये जरूर कह दिया कि जिलाधिकारी सर ने यहां आकर उनके भाई की कमी पूरी कर दी।
इस वक्त वो ऐसे अधिकारी हैं जिनके बारे में लोग सबसे ज्यादा चर्चा कर रहे हैं। हरिद्वार के हर नुक्कड़, चैक-चैराहे पर उनके काम की चर्चाएं होना आम बात हो गई है। दीपक का कहना है कि वो आज चाहे जिस भी पद पर हैं लेकिन अपने आपको वो बच्चा ही मानते हैं और उन्हें बच्चा बने रहने में ही आनंद आता है। वो कभी नहीं चाहते कि उनके अंदर जो एक बचपना है वो खत्म हो। हालांकि, वो कभी-कभी सोचते हैं कि सीरियस रहें लेकिन ऐसा हो नहीं पाता।
40 साल के दीपक रावत मूल रूप से मसूरी के रहने वाले हैं उनकी पत्नी विजेता सिंह भी पेशे से वकील हैं, दोनों की एक बेटी है। रावत दर्शनशास्त्र में रूचि रखते हैं और वो पुराने क्लासिक गीतों के बहुत शोकीन हैं वो खुद भी बहुत सारे गाने गुन गुनाते नजर आते हैं। वो कई बार गढ़वाली कुमाउनी भाषा में भी गाने गा चुके हैं।
नैनीताल में डीएम रहते हुए दीपक रावत ने कई ऐसे काम किये जिनकी वजह से उनको एक अलग स्तर के अधिकारी के तौर पर देखा जाने लगा। नैनीताल के अस्पताल में डॉक्टरों को गलती पर हड़काना हो या फिर पार्किंग के चक्कर में दिल्ली की महिला पर्यटक से विवाद। दीपक रावत के इस अंदाज को लोग धीरे-धीरे पसंद करने लगे हैं । नैनीताल के बाद अब वो धर्मनगरी हरिद्वार में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
नैनीताल में सड़कों से लेकर गलियारों तक बिना किसी भ्रष्टाचार के कार्य संपन्न होने लगे थे। सरकारी कामकाज में कोई भी त्रुटी नहीं होती थी। अब हरिद्वार में भी वो अपना जलवा दिखा रहे हैं। एक तरह से हम कह सकते हैं कि रावत जैसे डीएम हर जिले को मिल जायें तो उत्तराखंड की तस्वीर ही बदल जायेगी।
दीपक कहते हैं, मैं सोशल मीडिया से बहुत जुड़ा हूं। मुझे अच्छा लगता है और मैं इसे अपने ऑफिस टूल का पार्ट मानता हूं। सोशल मीडिया गुड गवर्नेंस का भी पार्ट है और मैं वही करता हूं। दिनभर फाइल्स और लोगों के बीच रहने के बाद शाम को जैसे ही वक्त मिलता है मैं सोशल मीडिया पर आ जाता हूं लेकिन ज्यादा देर के लिए नहीं केवल 20 मिनट के लिये।
वर्तमान में उनकी ताबड़तोड़ कार्रवाई को लोग बहुत ही पसंद कर रहे हैं और लगभग हर युवा आज उनको अपना रोल माडॅल मानता है।