एक सर्वे रिपोर्ट की मानें तो अन्य देशों के मुकाबले भारत वर्ष में निमोनिया का प्रकोप सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, क्या आप जानते है कि भारत में प्रति दो मिनट में एक बच्चा निमोनिया का शिकार हो रहा है। इसको रोकने के लिए पोलियो की तरह निमोनिया मुक्त भारत अभियान चलाने की जरूरत है। यह एक जानलेवा बिमारी है क्योंकि निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण होता है जो हमारे फेफड़ों में तरल पदार्थ को इकट्ठा करके उसमें हवा और पानी के बहाव को रोकता है जिसके कारण कई तरह की परेशानियां होती है जैसे बलगम युक्त खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द आदि। जो कि बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस के कारण हो सकता है।
जानकर बताते है कि भारत में निमोनिया का प्रकोप अन्य देशों की तुलना ज्यादा होने की कई वजहें हैं। इन पर काबू पाने के लिए निमोनिया मुक्त भारत का अभियान चलाना होगा। निमोनिया के कारण भारत में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। आंकड़ों की बात करें तो निमोनिया के कारण विश्व की एक तिहाई मौतें भारत में हो रही है और हर साल करीब 36 लाख बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं।
निमोनिया के कारणों में कई बैक्टीरिया पाए जाते हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा खतरनाक स्ट्रैप्टो कोकस निमोनी बैक्टीरिया होता है। इसके खतरनाक होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि निमोनिया से हो रही मौतों के मामले में एक तिहाई में स्ट्रैप्टो कोकस बैक्टीरिया पाया जाता है।
निमोनिया से बचने के उपाय: शिशुओं को जन्म के छह महीनें बाद तक स्तनपान कराएं, टीकों को नियमित रूप से लगवाएं, प्रदूषण को कम करने के उपाय करें, साफ सफाई नियमित रूप से करें, साबुन से हाथ धोएं।