उत्तराखंड में भजन पूजन तथा देव दर्शन के अनेक ऐसे स्थान है जो राष्ट्रीय नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं। यह बात अलग है कि कम पहुंच होने के कारण इन तक श्रद्धालु उतनी संख्या तक नहीं पहुंच पाते जितने पहुंचने चाहिए। इसी का उदाहरण उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में है प्राचीन गुफा मंदिर पाताल भुवनेश्वर का यह अद्भुत मंदिर। पाताल भुवनेश्वर मंदिर में आज भी लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर के निर्माण से आज तक कला के अद्भुत नमूने देखने का मिलते हैं।
पाताल भुवनेश्वर की विशेषता है कि यहां आपको सारे देवी-देवता और पूरे ब्रह्मांड का विहंगम दृश्य देख सकते हो। स्कंद पुराण के 103वें अध्याय में भी पाताल भुवनेश्वर का वर्णन किया गया है और इसे भूतल का सबसे पावन क्षेत्र बताया गया है। इसी अध्याय में कहा गया है कि पाताल भुवनेश्वर में पूजन करने से अश्वमेध से हजार गुणा फल प्राप्त होता है।
पाताल भुवनेश्वर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर पांडवों ने तपस्या की थी। हमारे पुराणों के अनुसार यहां भगवान भोलेनाथ का निवास था। कई देवी-देवता उनके दर्शन और पूजा करने के लिए यहां आते थे।
पाताल भुवनेश्वर गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहां दुनिया की प्रलय का राज छिपा हुआ है। इस गुफा मंदिर की खोज के बारे में कहा जाता है कि युग रुपांतर के बाद काफी समय तो इस गुफा के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। आदि शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की थी। गुफा मंदिर होने के कारण ही इस क्षेत्र को गुफाओं का देव कहा गया है।