बहुत से ऐसे लोग हैं जो जुड़वा बच्चा पाना चाहते हैं. हालांकि, जुड़वा बच्चा ही किसी के गर्भ में ठहरे, यह भी जरूरी नहीं. जुड़वा बच्चे का गर्भधारण करने के लिए प्राकृतिक और चिकित्सा पद्धतियां भी हैं, जो जुड़वा गर्भधारण की संभावना को बढ़ा सकते हैं.
जुड़वा बच्चों का गर्भधारण करने के प्रयास से पहले ये बात अपने दिमाग में डाल लें कि इसमें कई खतरे भी हैं. इसके लिए आपको जोखिम भी उठाने पड़ सकते हैं. अगर आप जुड़वा बच्चे की मां हैं, तो आप इस मामले में लगातार डॉक्टर की सलाह लेती रहें.
आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल सभी गर्भधारणों में से केवल 3 फीसदी में ही एक से अधिक बच्चे अर्थात जुड़वा बच्चों का जन्म होता है. शोध में पाया गया है कि एशिया मूल की महिलाओं में जुड़वा बच्चों का गर्भधारण की संभावना बहुत कम होती है. वहीं अफ्रीकी मूल की महिलाओं में जुड़वां बच्चों के गर्भधारण करने की संभावना अधिक होती है. चार या उससे अधिक बच्चे होने पर गर्भधारण में जुड़वां बच्चा होने की संभावना बढ़ जाती है. अमेरिकी और अफ्रीकी लोगों को ये विरासत में मिली हैं. वहां पर जुड़वा बच्चे गर्भधारण करने वाली महिलाओं का दर काफी उच्च है.
माना जाता है कि अधिक उम्र की औरतों में जुड़वा के गर्भधारण करने की संभावना अधिक होती है. प्रजनन अनुसंधान ने भी इस बात को साबित किया है कि जो महिलाएं पोषित नहीं होतीं, उनमें जुड़वा होने की संभावना कम होती है. इसलिए अगर उसके शरीर में विटामिन्स की मात्रा सही हैं, तो फिर सब ठीक है. मगर गर्भधारण करने से पहले महिला में फोलिक एसिड की खुराक बढ़ाने की जरूरत है.
अपने साथी को कस्तूरी खाने के लिए प्रोत्साहित करें. इसमें जस्ते की मात्रा होती है, जो शुक्राणु के उत्पादन में मदद करता है. इससे अच्छे वीर्य का निर्माण होता है, जो अंडे को उर्वरा बनाता है.
गर्भाधारण के दौरान आलू और रतालू खाने पर विशेष जोर दिया गया है. ये खुराक महिला में जुड़वा बच्चे के अवसर को अन्य महिलाओं के मुकाबले 5 गुना अधिक बढ़ा देती है. सब्जियों में मौजूद पोषक तत्व ऑव्यूलेशन के दौरान ऑवरीज को एक से अधिक अंडे प्रोड्यूस करने में प्रोत्साहित करती हैं.