यदि भवन / दुकान के मुख्य द्वार के आगे कोई बाधा होती है तो उसे द्वारवेध की संज्ञा दी जाती है । मुख्य द्वार के आगे कोई भी द्वार वेध नहीं होना चाहिए लेकिन यदि द्वार वेध भवन की ऊँचाई से दो गुना दूरी पर स्थित हो तो वह दोष प्रभावी नहीं माना जाता है। मुख्य द्वार के आगे खम्बा, बड़ा पेड़, कोई मशीन, बिजली का ट्रांसफार्मर, सीढ़ी, गंदगी का ढेर, गड्ढा, कीचड़, कोई अन्य द्वार आदि द्वार वेध कहलाते है । भवन के आगे किसी भी प्रकार के द्वार वेध का अवश्य ही उपाय करना चाहिए ।
द्वारवेध दोष क्या है और इसके दुष्परिणाम
- मुख्य द्वार के आगे यदि कोई मार्ग समाप्त होता है तो वह भी द्वार वेध कहलाता है। यह भवन के मुखिया के लिए बहुत ही हानिकारक होता है।
- मुख्य द्वार के आगे गन्दगी के ढेर, कीचड़ का होना भी द्वार वेध होता है। यह चिंता और शोक बढ़ाती है।
- मुख्य द्वार के सामने कुंआ, गहरा गड्ढा होना भी द्वार वेध होता है। इससे भवन के निवासियों को नाना प्रकार के रोगो का सामना करना पड़ सकता है।
- मुख्य द्वार के आगे मंदिर का होना भी द्वार वेध कहलाता है। इससे भवन के मुखिया को हमेशा संकट घेरे रहते है।
- मुख्य द्वार के आगे बड़ा पेड़ भी द्वार वेध होता है। इससे भवन में रहने वाले बच्चे आगे नहीं बड़ पाते है।
- यदि किसी मकान का कोई कोना आपके मुख्य द्वार के सामने तो वह भी द्वार वेध कहलाता है । इससे गृह स्वामी को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
द्वार वेध दूर करने के उपाय
- बाँसुरी का उपयोग वास्तु शास्त्र और ग्रह दोष निवारण में बहुत ही उपयोगी है। वास्तु में बीम संबंधी दोष, द्वार वेध, वृक्ष वेध आदि के निराकरण में इसका प्रयोग होता है। द्वार वेध में बांसुरी को लाल या पीले रिबन से लपेटकर मुख्य द्वार पर कर थोड़ा तिरछा करके लगाना चाहिए तथा इसका मुंह नीचे की तरफ होना चाहिए।
- द्वार वेध के दोष को दूर करने के लिए शंख, सीप, कौड़ी या समुद्री झाग को लाल कपड़े में बांधकर मौली से दरवाजे पर लटकाना चाहिए।
- घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर से स्वस्तिक का नौ अंगुल लंबा तथा नौ अंगुल चैड़ा बनाने से वास्तुदोष के प्रभाव में कमी आती है।
- चांदी का एक तार घर के मुख्य फाटक के नीचे दबाने और पंचमुखी हनुमान जी का फोटो लगाने से भी द्वार वेध दूर होता है।
- भवन के किसी भी प्रकार के द्वार वेध और वास्तु दोष को दूर करने के लिए मुख्य द्वार के एक तरफ केले का वृक्ष दूसरी ओर तुलसी का पौधा गमले में लगायें।
- घर के दरवाजे पर लोहे की घोड़े की नाल लगाये जो नीचे की ओर गिरी होनी चाहिए इससे भी द्वार वेध दूर होता है।
- पिरामिड के आकार का मंगल यंत्र घर में लगाने से वास्तु दोषों का नाश होता है।
- भवन के बाहर 6 इंच का एक अष्टकोण आकार का दर्पण लगाने से भी द्वार वेध का निराकरण हो जाता है।
- यदि आपके मकान के सामने किसी प्रकार का वेध यानी खंभा, बड़ा पेड़ या ऊँची इमारत हो तो भवन के सामने लैम्प पोस्ट लगा लें। यदि यह लगा पाना संभव नहीं हो तो घर के आगे अशोक का वृक्ष, तुलसी का पौधा और सुगंधित फूलों के पेड़ के गमले लगा दें, इसके अतिरिक्त अष्ट कोणीय दर्पण, क्रिस्टल बाल को भी लगाकर द्वार वेध को दूर किया जा सकता है।
- यदि मकान का कोई कोना आपके मुख्य द्वार के सामने आ रहा हो तो स्पॉट लाइट लगाएं। जिसका प्रकाश आपके घर की ओर ऊपर की तरफ रहे।
- मुख्य द्वार के आगे गन्दगी के ढेर, कीचड़ होने पर उसे अवश्य ही साफ करा दें।
- मुख्य द्वार के सामने कुंआ, गहरा गड्ढा होने पर कुंए को भारी पत्थर से ढकवा दे और गड्ढे को अवश्य ही भर दें।
- यदि आपके मकान में कमरे की खिड़की, दरवाजा या बॉलकनी ऐसी दिशा में खुले, जिस ओर कोई खंडहरनुमा मकान, उजाड़ प्लाट, बरसों से बंद पड़ा भवन, श्मशान या कब्रिस्तान स्थित हो तो यह अत्यंत अशुभ है। इस दोष को दूर करने के लिए किसी शीशे की प्लेट में मध्यम आकर के फिटकरी के टुकड़े खिड़की, दरवाजे अथवा बालकनी के पास रख दें तथा उन्हें हर महीने अवश्य ही बदलते रहें।
ध्यान दीजिये- भवन/ दुकान/कार्यालय का मुख्य द्वार उसका मुँह होता है अत: किसी भी प्रकार के द्वार वेध में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, यदि कोई परेशानी ना भी हो तब भी अति शीघ्र से शीघ्र उसका उपाय करना चाहिए, किसी भी मुसीबत का इंतज़ार नहीं करना चाहिए।