हर व्यक्ति की मनोकामनाएं होतीं है। इसके लिए खूब पूजा-अर्चना भी करते हैं। कोई वैवाहिक जीवन के लिए कोई लम्बी आयु और कोई संतान की सुख-समृ्दि्ध के लिए या मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं। आपकी यह सभी इच्छाएं एक बेलपत्र से पूरी हो सकती हैं। इस बार श्रावण सोमवार दान पुण्य एवं पूजन समस्त ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के समान फल देने वाला होता है। इस व्रत का पालन कई उद्देश्यों से किया जा सकता है। सावन सोमवार व्रत कुल वृद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति और सुख -सम्मान देने वाले होते हैं।
बेलपत्र से की जाती है पूजा
श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा जब बेलपत्र से की जाती है, तो भगवान अपने भक्त की कामना जल्द से पूरी करते है। बिल्व पत्थर की जड़ में भगवान शिव का वास माना गया है इस कारण यह पूजन व्यक्ति को सभी तीर्थों में स्नान करने का फल प्राप्त होता है सावन माह शिवभक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है। जो 28 जुलाई से २६ अगस्त तक चलेगा। इसमें कांवड़ियों द्वारा जल लाने की यात्रा के आरंभ की कुछ तिथियां होती हैं। इन्ही तिथियों पर कांवड़ियों को यात्रा करना शुभ रहता है। श्रावण मास में आने वाले सोमवार के दिनों में भगवान शिवजी का व्रत एवं पूजन विशेष फलदायी होता है।
ऐसे करें श्रावण सोमवार की पूजा
इस दिन ब्रह्मुहूर्त में उठकर स्नान और नित्यक्रियाओं के बाद घर की सफाई कर, पूरे घर में गंगा जल या शुद्ध जल छिड़ककर, घर को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद घर के ईशान कोण दिशा में भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए। मूर्ति स्थापना के बाद सावन मास व्रत संकल्प लेना चाहिए। श्रावण मास में केवल भगवान शंकर की ही पूजा नहीं की जाती है, बल्कि भगवान शिव की परिवार सहित पूजा करनी चाहिए। व्रत में भगवान भगवान शिवजी समेत श्री गणेश जी, देवी पार्वती व नन्दी देव एवं नागदेव मूषक राज सभी की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में जल, दुध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त,मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढ़ाया जाता है। इस दिन धूप दीया जलाकर कपूर से आरती करनी चाहिए।
एक बार करें भोजन
पूजा करने के बाद एक बार भोजन करना चाहिए। सावन के व्रत करने से व्यक्ति को दुखों से मुक्ति मिलती है और सुख की प्राप्ति होती है। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से शुरु होकर सूर्यास्त तक किया जाता है। व्रत के दिन सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। तथा व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में सूर्यास्त के बाद एक बार भोजन करना चाहिए।