देहरादून – कार में बदलाव करवाना भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। क्योंकि अब वाहन मालिक अपने वाहनों में अपनी पर्सनल फीलिंग जोड़ना चाहते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आपकी कार में मूल रूप से बड़े बदलाव करना न सिर्फ गैरकानूनी है। बल्कि ऐसा करना आपकी बीमा पॉलिसी को भी रद्द कर सकता है। आम तौर पर, दो तरह के कार बीमा होते हैं – थर्ड-पार्टी और कॉम्प्रिहेंसिव बीमा पॉलिसी। कॉम्प्रिहेंसिव बीमा पॉलिसी आपके वाहन को हुए नुकसान को भी कवर करता है। यहां हम आपको बता रहे हैं कि वाहन में किस तरह के बदलाव (मॉडिफिकेशन) आपके बीमा कवरेज को खतरे में डाल सकते हैं।
एक्सटीरियर अपडेट
पेंट का नया कोट (जैसा कि आरसी पर जिक्र किया गया है) या स्टिकर (संयमित मात्रा में) जैसे मामूली बदलावों में आम तौर पर कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन फ्लेयर्ड फेंडर, कस्टम हुड और चौड़े टायर जैसे व्यापक बॉडी वर्क मॉडिफिकेशन बीमा कंपनी के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं। क्योंकि ये बदलाव वाहन की संरचनात्मक अखंडता (स्ट्रक्चरल इंटीग्रीटि) और हैंडलिंग से समझौता कर सकते हैं। जिससे बीमाकर्ताओं की नजर में जोखिम बढ़ जाता है।
इसके अलावा, आफ्टर-मार्केट लाइट्स (अलग रंग और तीव्रता की) जैसे बदलाव वाहन की विजिबिलीटी पर असर डाल सकते हैं। अगर वाहन में कराए जाने वाले इन बदलावों के लिए पहले से अप्रूवल नहीं लिया गया है, तो बीमा क्लेम को खारिज हो सकता है।