चमोली – समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान अपर जिलाधिकारी व यूसीसी के नोडल अधिकारी विवेक प्रकाश ने अधिकारियों को समान नागरिक संहिता के प्रावधानों को गंभीरता से समझने और नियमों का क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए।
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उन्होंने बताया कि 27 जनवरी 2025 से प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू हो चुकी है। यूसीसी का उद्देश्य सभी धर्मों और समुदायों के सामाजिक अधिकारों में सामंजस्य स्थापित करना और उनमें एकरूपता लाना है। यह संहिता उत्तराखण्ड के उन निवासियों पर भी लागू होगी, जो नियमावली के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों के बाहर रहते हैं या उनमें से कोई एक उत्तराखण्ड का निवासी हो।
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित कार्यशाला में सहायक अभियोग अधिकारी मनमोहन ने समान नागरिक संहिता के अंतर्गत विवाह, विवाह विच्छेद और सहवासी संबंध के पंजीकरण की अनिवार्यता तथा उसकी प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। इसके अलावा, यूसीसी के विधिक प्रावधानों के उल्लंघन के दण्डात्मक परिणामों के बारे में भी बताया।
मनमोहन ने बताया कि 26 मार्च 2010 के बाद हुए विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। यूसीसी लागू होने से पहले हुई शादी का पंजीकरण कराने के लिए 6 माह का समय मिलेगा, जबकि यूसीसी लागू होने के बाद हुई शादी में विवाह पंजीकरण के लिए 2 माह की समय सीमा तय की गई है। पंजीकरण ऑनलाइन पोर्टल या सीएससी के माध्यम से किया जा सकता है, और सामान्य सेवा के तहत फीस 250 रुपये तथा तत्काल सेवा में 2500 रुपये रखी गई है। निर्धारित समय अवधि के पश्चात विलम्ब शुल्क लिया जाएगा।
जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) मनोज भट्ट ने बताया कि नगरीय क्षेत्रों में अधिशासी अधिकारी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी को सब रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया है। ये अधिकारी विवाह पंजीकरण के आवेदन प्राप्त करेंगे और आवेदन में दिए गए अभिलेखों की प्रमाणिकता की जांच करेंगे। इसके साथ ही पंजीकरण कर्ता के माता-पिता, अभिभावक, साक्षी और धर्मगुरुओं के नाम, पते, फोन नम्बर और अन्य आवश्यक दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी। सब रजिस्ट्रार आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के अंदर विवाह का पंजीकरण कर सकता है या आवेदन अस्वीकृति आदेश जारी कर सकता है। त्वरित सेवा में यह समय सीमा तीन दिन होगी।