

उत्तराखंड राज्य स्थापना को 25 साल होने जा रहे हैं। ऐसे में प्रदेशभर में कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन होने जा रहा है। सरकार से लेकर विपक्ष तक अपनी-अपनी तैयारियां कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमें अपना राज्य उत्तराखंड कैसे मिला था ?
9 नवंबर 2000 को हुआ था उत्तराखंड का गठन
देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड राज्य के लिए तारीख 9 नवंबर विशेष महत्व रखती है। नंवबर महीने की 9 तारीख को 25 साल पहले उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था। 25 साल पहले संघर्षों के बीच उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तरांचल ने एक राज्य का दर्जा प्राप्त किया था। जिसके बाद साल 2007 में इसका नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।

आंदोलन, त्याग और बलिदान से मिला पृथक राज्य
पृथक राज्य ऐसे ही नहीं मिल गया इसके लिए कई आंदोलन हुए और कई लोगों के बलिदान के बाद इस राज्य का गठन हुआ। बता दें कि अलग राज्य के लिए सबसे पहले मांग 1990 में उठी थी। पहाड़ी क्षेत्र में संसाधनों और विकास योजनाओं की भारी कमी के कारण लोगों ने अलग राज्य की मांग की।

हालांकि साल 1938 में पहली बार श्रीनगर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष सत्र के दौरान भी पहाड़ी क्षेत्र में विकास को लेकर भी बात उठी थी। लेकिन आजादी के बाद इन मुद्दों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप नहीं छोड़ी। हालांकि इस दौरान भी अलग राज्य के गठन की मांग उठी थी। लेकिन ये मांग 1990 के दशक में उठी और इतनी तेजी से उठी की हर ओर इसी के चर्चे थे। पृथक राज्य के लिए आंदोलन किए गए। बड़ी संख्या में पहाड़ के लोग इनमें शामिल हुए। इस दौरान कई आंदोलनकारी शहीद हुए।
राज्य आंदोलनकारियों के बलिदान का फल उत्तराखंड
1990 से लेकर आगे के कई सालों तक राज्यभर में आंदोलन चल रहे थे। मसूरी से लेकर नैनीताल तक लोग पृथक राज्य की मांग कर रहे थे। मिली जानकारी के मुताबिक साल 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलन निर्णायक मोड़ पर पहुंचा। ये वो वक्त था जब ये आंदोलन सिर्फ आंदोलन नहीं बल्कि जनआंदोलन बन गया था।

इस आंदोलन में हर जाति, वर्ग और धर्म के लोग शामिल हुए। इतना ही नहीं पृथक राज्य की मांग को लेकर 42 राज्य आंदोलनकारियों को बलिदान होना पड़ा। रामपुर तिराहा, खटीमा और मसूरी गोलीकांड ने तो पूरे देश को हिलाकर रख दिया।
9 नवंबर 2000 को हुआ उत्तराखंड का गठन
15 अगस्त 1996 को उत्तराखंड के राज्य बनने की दिशा में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने एक निर्णायक कदम उठाया। उन्होंने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अलग राज्य की घोषणा की।
लेकिन इस घोषणा को तब की सरकार के कारण अमल में नहीं लाया जा सका था। लेकिन तीन साल बाद आखिरकार अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़, 9 नवंबर को उत्तराखंड (उत्तरांचल), और 15 नवंबर को झारखंड का गठन हुआ था।



