देहरादून: उत्तराखंड में शिक्षा विभाग में फर्जी प्रमाण पत्रों का बड़ा खुलासा हुआ है। शिक्षा विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी पाने का मामला दोबारा सुर्खियों में है। विभाग ने ऐसे 51 शिक्षकों को नोटिस जारी किया है, जिन पर दिव्यांग कोटे से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी हासिल करने का आरोप है।
दो साल पुराना मामला फिर चर्चा में
ये प्रकरण 2022 में सामने आया था। मेडिकल बोर्ड ने जांच में इन 51 शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी घोषित भी कर दिए थे। इसके बावजूद न स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई की और न ही शिक्षा विभाग ने संबंधित शिक्षकों से जवाब मांगा। हाल ही में न्यायालय आयुक्त दिव्यांगजन ने जनहित याचिका के आधार पर शिक्षा विभाग से इन शिक्षकों की सूची मांगी। इसके बाद विभाग ने तत्काल सभी शिक्षकों को 15 दिन के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस भेज दिया है।
कौन है जांच के दायरे में
हैरानी की बात है कि नोटिस पाने वालों में कुछ शिक्षक 1991 में भर्ती हुए थे और आज प्रधानाध्यापक के पद पर हैं।
जबकि कुछ की भर्ती 2019-20 में हुई थी। सबसे ज्यादा मामले टिहरी से सामने आए हैं, जबकि देहरादून, पौड़ी और उत्तरकाशी में भी ऐसे कई शिक्षक तैनात हैं।
शासन ने जांच कमेठी बनाकर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए
शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी फर्जी प्रमाण पत्र कैसे बने, किसने जारी किए, और अयोग्य लोग कैसे नौकरी पर लगाए गए—इसकी पूरी छानबीन करेगी। मामला केवल शिक्षकों तक सीमित नहीं है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या बेसिक शिक्षा और अन्य विभागों में भी इसी तरह फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने वालों की संख्या काफी अधिक है? विशेषज्ञ बड़े स्तर पर जांच की सिफारिश कर रहे हैं ताकि पूरे “फर्जीवाड़े” का खुलासा हो सके।





