देहरादून – उत्तराखंड में आज, 27 जनवरी 2025 को, समान नागरिक संहिता (UCC) लागू कर दी गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में UCC के पोर्टल को लॉन्च किया, जिससे राज्य ने इस कानून को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री धामी ने 27 मई 2022 को इस दिशा में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 2 फरवरी 2024 को सरकार को सौंप दी थी। इसके बाद, 8 मार्च 2024 को विधानसभा में UCC विधेयक पारित हुआ, जिसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा गया। 12 मार्च 2024 को राष्ट्रपति मुर्मू ने इसे हरी झंडी दी, और 20 जनवरी 2025 को धामी कैबिनेट ने इसकी नियामवली को मंजूरी दी।
क्या है समान नागरिक संहिता (UCC)?
समान नागरिक संहिता का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे कानूनों को एक समान आधार पर लागू करना है, चाहे वे किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हों। वर्तमान में विभिन्न धर्मों में इन मुद्दों पर अलग-अलग कानूनी राय और विधियाँ हैं।
UCC का इतिहास और आवश्यकता
UCC का विचार ब्रिटिश शासन के समय से आया, जब ब्रिटिश सरकार ने भारत के कानूनों को संहिताबद्ध करने का प्रस्ताव रखा। आज, इसका उद्देश्य शादी, तलाक, बच्चा गोद लेने और संपत्ति बंटवारे जैसे मामलों में एक समान कानून स्थापित करना है, जो समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ावा देता है।
UCC के लागू होने से होने वाले प्रमुख बदलाव
- विवाह के लिए पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होगी।
- बहुविवाह, हलाला, इद्दत और तीन तलाक जैसी प्रथाएँ अमान्य होंगी।
- विवाह पंजीकरण अनिवार्य होगा, और इसके बिना किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
- लिवइन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन करना आवश्यक होगा।
- विवाह पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
दुनिया के कुछ देशों में UCC लागू है
UCC पहले ही कई देशों में लागू है, जिनमें अमेरिका, आयरलैंड, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, और मिस्र शामिल हैं।
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