देहरादून – उत्तराखंड राज्य में भले ही आईटी क्षेत्र में तेजी से विकास के प्रयास हो रहे हों, लेकिन साइबर हमलों के प्रति माहौल असुरक्षित बना हुआ है। आईटी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के विशेषज्ञ लगातार विभागों को चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पिछले साल जुलाई में कोषागार निदेशालय का एक बड़ा साइबर हमला हुआ, जिसमें आईटीडीए के स्टेट डाटा सेंटर से साढ़े तीन लाख कर्मचारियों, पेंशनरों और आश्रितों का 22 दिन का डाटा गायब हो गया। इस हमले के तीन दिन बाद भी आईटीडीए के विशेषज्ञ डाटा रिकवर नहीं कर पाए, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। हालांकि, गनीमत यह रही कि कोषागार निदेशालय के पास इसका बैकअप था, लेकिन यह स्थिति किसी भी विभाग के लिए एक गंभीर चेतावनी थी।
इस साल, आईटीडीए द्वारा किए गए सिक्योरिटी ऑडिट में 72 वेबसाइटें हैकिंग और साइबर हमलों के लिए असुरक्षित पाई गईं। इसके बावजूद, सुरक्षा इंतजामों को प्राथमिकता नहीं दी गई। आईटीडीए के विशेषज्ञ विभागों से लगातार अनुरोध कर रहे हैं कि वे सुरक्षा इंतजाम कराएं और डाटा को स्टेट डाटा सेंटर के अलावा अन्य सुरक्षित स्थानों पर भी रखें। लेकिन अधिकांश विभाग इस पर सहमति देने को तैयार नहीं हैं।
इस साल के साइबर हमले ने एक नई चेतावनी दी है। पहली बार इतनी बड़े स्तर पर एक साइबर हमला हुआ है, जिससे उबरने में एक-दो दिन का समय लग सकता है। हालांकि, आईटी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सभी व्यवस्थाएं सुचारू हो जाएंगी, लेकिन विशेषज्ञों की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं।
उत्तराखंड में साइबर सुरक्षा की इस स्थिति ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या विकास के साथ-साथ सुरक्षा पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा? यदि यही हालात रहे, तो राज्य की डिजिटल पहल को बड़ा खतरा हो सकता है। अब समय आ गया है कि विभाग इस मुद्दे को गंभीरता से ले और आवश्यक सुरक्षा इंतजाम करे, ताकि नागरिकों का डाटा सुरक्षित रहे।
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