नई दिल्ली – भारत सरकार ने ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के लिए अपनी प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना से एक दर्जन कंपनियों को बाहर करने का निर्णय लिया है। इन कंपनियों में एक प्रमुख नाम किआ (Kia) का भी है, जो कि दक्षिण कोरियाई ऑटोमेकर है। किआ ने इस योजना के तहत भारत में कोई निवेश नहीं किया है, जिससे उसे इस योजना से बाहर किया गया।
ऑटो पीएलआई योजना का उद्देश्य स्वदेशी ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) को बढ़ावा देना है। इसके तहत सरकार ने 26,000 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया है। किआ इंडिया के मामले में, क्योंकि कंपनी ने इस योजना के तहत कोई निवेश नहीं किया, उसे योजना से बाहर कर दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप किआ को 1-2 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी भी खोनी पड़ेगी।
यह पीएलआई योजना 2021 में शुरू की गई थी और इसका उद्देश्य भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना था। रिपोर्टों के अनुसार, ऑटो उद्योग के खिलाड़ियों ने योजना के तहत 75,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई थी। हालांकि, किआ समेत कम से कम 12 कंपनियां इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में नाकाम रही हैं।
ऑटो पीएलआई योजना का उद्देश्य न केवल भौतिक संसाधनों बल्कि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में भी निवेश करना था। पहले वर्ष में, यानी वित्तीय वर्ष 24 में, ऑटो उद्योग ने केवल 500 करोड़ रुपये का निवेश आवेदन किया था, जो इस योजना के 26,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के मुकाबले बेहद कम था।
किआ ने अभी तक इस फैसले पर आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है। हालांकि, निवेश की कमी या रणनीति में बदलाव की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस समय किआ भारत के यूटिलिटी व्हीकल मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए है और उसने सेल्टोस, सोनेट, कैरेंस और हाल ही में लॉन्च किए गए साइरोस जैसे मॉडल्स पेश किए हैं। इसके अलावा, किआ भारत में कार्निवल प्रीमियम MPV और दो इलेक्ट्रिक वाहन- EV9 और EV6 भी बेचता है।
#Kia #PLI_Scheme #AutomobileManufacturing #IndianMarket #ElectricVehicles #Investment #AutomobileIndustry #MakeInIndia #KiaIndia #GovtInitiative