सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएगी भैरोंघाटी से पीडीए तक की सड़क, एक हजार करोड़ रुपये की लागत की डीपीआर तैयार।

उत्तरकाशी – भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र की भैरोंघाटी से पीडीए तक की सड़क सेना की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाएगी। इसके लिए बीआरओ (बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन) ने भारत माला परियोजना में सीमा क्षेत्र सड़क पुनर्वास के लिए करीब एक हजार करोड़ रुपये की लागत की डीपीआर तैयार की है।

इसके तहत सीमा क्षेत्र के अवशेष बैली ब्रिज को पक्के डबल लेन पुलों में बदलने के साथ पहली बार लंबे समय से सक्रिय भूस्खलन जोन का भी ट्रीटमेंट शुरू किया जाएगा। उत्तराखंड राज्य में उत्तरकाशी सहित चमोली और पिथौरागढ़ जिलों की सीमा चीन से लगती है। पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार यहां सड़क सुधार कार्यों को गति देने में लगी है।

इसी के चलते अब सीमा क्षेत्र में अग्रिम चौकियों तक भी पक्की और अच्छी सड़क बनाई जा रही है। इस क्रम में अब सेना की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर भी सड़क सुधार की योजना है। बीआरओ ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी भारत माला परियोजना में इसके लिए डीपीआर (विस्तृत कार्य योजना) तैयार की है।

पांच भूस्खलन जोन का भी किया जाएगा ट्रीटमेंट
इस योजना के तहत भैरोंघाटी से पीडीए तक करीब 60 किलोमीटर के दायरे में सीमा क्षेत्र की सड़क को सेना की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। इस क्षेत्र में सीपीडब्ल्यूडी के अधीन छह बैली ब्रिज आते हैं, जो पक्के और डबल लेन पुलों में बदले जाएंगे।

वहीं, भैरोंघाटी से करीब 10 किमी आगे हवा मोड़ नामक जगह पर सक्रिय भूस्खलन जोन समेत पांच भूस्खलन जोन का भी ट्रीटमेंट किया जाएगा। बीआरओ के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, उक्त योजना की डीपीआर को जल्द स्वीकृति मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद यह कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।

उत्तरकाशी जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि सीमा क्षेत्र में सीपीडब्ल्यूडी के साथ बीआरओ सड़क सुधार के लिए काफी पहले से काम कर रहा है। भारत माला परियोजना में सेना की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर कार्य होंगे तो यह सीमा क्षेत्र की सुरक्षा के लिए कारगर होगा।

ये है भारत माला परियोजना

केंद्र सरकार के सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने यह परियोजना वर्ष 2015 में शुरू की थी, जो सीमा क्षेत्र सहित तटीय और बंदरगाह कनेक्टिविटी सड़कों के विकास, राष्ट्रीय गलियारों, आर्थिक गलियारों व अन्य की दक्षता में सुधार पर केंद्रित हैं। परियोजना के पहले चरण का लक्ष्य 5.35 लाख करोड़ रुपये की लागत से 34,800 किलोमीटर राजमार्ग बनाना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here