नदियों पर बने पुलों को बचाने के लिए शासन ने जारी की एसओपी, 100 मीटर तक खनन पूरी तरह से होगा प्रतिबंधित।

देहरादून – उत्तराखंड में नदियों पर बने पुलों को भारी बारिश और बाढ़ से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए शासन ने मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी है। इसके तहत नदियों पर बने पुल के 100-100 मीटर तक अप स्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम में खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।

जहां नदी घुमावदार होगी, वहां 200-200 मीटर खनन कार्यों पर पाबंदी रहेगी। यही प्रतिबंध उस स्थिति में होगा जहां 200 मीटर की परिधि में दो पुल होंगे। पुलों की सुरक्षा के लिए पुलों की ऊपरी धारा (अप स्ट्रीम) क्षेत्र में रिवर ट्रेनिंग व फ्लड प्रोटेक्शन का कार्य सिंचाई विभाग कराएगा। एसओपी के तहत तय मानकों के विपरीत गतिविधियों में खनन विभाग कार्रवाई करेगा।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग ने एसओपी जारी की है। बता दें कि पिछले साल मानसून के दौरान राज्य के विभिन्न स्थानों पर कई पुलों को नुकसान हुआ था। कई पुलों को बाढ़ से हुए नुकसान के पीछे नदी के अपस्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम में खनन को भी प्रमुख वजह बताया गया था। इन सभी बातों को ध्यान रखते हुए विभाग ने एसओपी तैयार की है। मल्टी स्पान पुलों की सुरक्षा के लिए नदियों में पुलों के अपस्ट्रीम और डाउन स्ट्रीम में 500-500 मीटर तक खनन कार्य नहीं हो सकेंगे।

सिंचाई विभाग करेगा नदियों में चैनेलाइजेशन का काम
नदियों में स्थित पुलों की सुरक्षा के लिए सिंचाई विभाग अप और डाउन स्ट्रीम में चैनेलाइजेशन का काम करेगा। जल बहाव को चैनेलाइज करने का कार्य बारिश से पहले कराया जाएगा। ऐसे मामलों में वन विभाग और राजस्व विभाग पूर्ण सहयोग करेंगे। राजस्व व वन भूमि के क्षेत्र में जो पुल स्थित होंगे, वहां उनके आसपास प्रतिबंधित क्षेत्र में खनन रोकने का कार्य दोनों विभागों का होगा। खनन विभाग को खनन पट्टों की सूचना लोनिवि, वन व सिंचाई विभाग को अनिवार्य रूप से देनी होगी।

निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगेंगे
पुलों के आसपास प्रतिबंधित सीमा तक खनन रोके जाने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। इसके लिए जिला खनन निधि से संबंधित जिलाधिकारी बजट की व्यवस्था करेंगे।

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