चमोली/पाण्डूकेश्वर – भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने की तिथि निर्धारित करने से पूर्व, एक महत्वपूर्ण धार्मिक प्रक्रिया के तहत भगवान बदरीविशाल के महाभिषेक में प्रयुक्त होने वाले तेल कलश का आयोजन किया गया। इस तेल कलश को गाडू घड़ा कहा जाता है, जिसे नृसिंह मंदिर के खजाने से लेकर डिमरी पंचायत द्वारा नियुक्त डिमरी समुदाय के सदस्यों ने पाण्डूकेश्वर तक पहुंचाया।
आज पाण्डूकेश्वर में विशेष पूजा-अर्चना के बाद, गाडू घड़ा तेल कलश को नृसिंह मंदिर होते हुए लक्ष्मीनारायण मंदिर डिमर भेजा जाएगा। इसके बाद, 1 फरवरी को डिमरी समुदाय से तेल कलश टिहरी राजदरवार के लिए रवाना होगा। इस धार्मिक प्रक्रिया के बाद, 2 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने की तिथि का औपचारिक ऐलान किया जाएगा।
यह अवसर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और इस दिन के लिए श्रद्धालुओं में गहरी श्रद्धा और उत्साह देखा जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महापर्व में कोई कमी न रहे और भक्त भगवान के दर्शन सुरक्षित और शुभ समय पर कर सकें।
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