जम्मू – कश्मीर में प्रवासी मजदूरों पर फिर से आतंकियों के हमले की वारदात सामने आई है। पिछले पांच दिनों में यह दूसरा हमला है, जिसने घाटी में काम करने वाले 50,000 से अधिक प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस वर्ष कश्मीर में गैर-कश्मीरी मजदूरों पर यह पांचवां आतंकी हमला है।
पिछले हमलों की याद दिलाते हुए
जानकारी के अनुसार, आतंकियों ने 2021 में भी प्रवासी मजदूरों को निशाना बनाया था। 16 और 17 अक्टूबर, 2021 को बिहार और यूपी के चार मजदूरों की गोली मारकर हत्या की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर घाटी से पलायन करने लगे थे। अब एक बार फिर कश्मीर में वैसा ही माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
प्रवासी मजदूरों की स्थिति
कश्मीर के विभिन्न जिलों में चल रही बड़ी परियोजनाओं में प्रवासी मजदूर काम कर रहे हैं। इनमें बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और पंजाब के मजदूर शामिल हैं, जो सेब के बगीचों, निर्माण परियोजनाओं और स्थानीय बाजारों में काम करते हैं।
हाल के हमलों का विवरण
8 अप्रैल : दिल्ली के कैब चालक परमजीत सिंह पर शोपियां में हमला।
17 अप्रैल : अनंतनाग में बिहार के राजू शाह की हत्या।
फरवरी : श्रीनगर में पंजाब के दो लोगों की गोली मारकर हत्या।
गांदरबल में बड़ा हमला
हाल ही में गांदरबल में जेड मोड़ सुरंग निर्माण कर रही कंपनी के प्रवासी मजदूरों पर हमला हुआ, जिसमें एक डॉक्टर और छह मजदूरों की हत्या की गई। यह हमला शोपियां में बिहार के मजदूर अशोक चौहान की हत्या के एक दिन बाद हुआ। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-ताइबा के सहयोगी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली है।
सुरक्षा उपाय और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रवासी मजदूरों के कैंप की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हमले की कड़ी निंदा की है और पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
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