नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में संशोधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6A की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इस धारा को असम समझौते के संदर्भ में संविधान में शामिल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने इस धारा की वैधता को बरकरार रखा।
फैसला की मुख्य बातें
4:1 का बहुमत: सुप्रीम कोर्ट ने 4:1 के बहुमत से धारा 6A की संवैधानिक वैधता को बनाए रखा, जो असम में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है।
राजनीतिक समाधान: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में पीठ ने कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का एक राजनीतिक समाधान है।
संसदीय क्षमता: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने बताया कि संसद के पास इस प्रावधान को लागू करने की विधायी क्षमता है। जबकि न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने असहमति जताई।
समय सीमा: कोर्ट ने कहा कि असम में नागरिकता प्रदान करने के लिए 25 मार्च, 1971 तक की समय सीमा सही है।
याचिकाएं और सरकार का हलफनामा
इस मुद्दे पर 17 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। केंद्र सरकार ने एक हलफनामे में बताया कि वह भारत में अवैध प्रवासियों के आंकड़े प्रदान करने में असमर्थ है, क्योंकि यह गुप्त तरीके से होता है।
निष्कर्ष
धारा 6A विशेष प्रावधान के तहत असम समझौते से संबंधित मामलों का समाधान करती है। यह धारा उन लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करती है जो 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच बांग्लादेश सहित अन्य क्षेत्रों से असम आए हैं।
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