देहरादून – उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य महिला आयोग ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। आयोग ने सुझाव दिया है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से मदद दी जाए। इसके लिए महिला नीति के तहत एक अलग से बजट प्रावधान किया जाएगा।
Women Empowerment and Economic Strengthening
राज्य महिला आयोग ने माना कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनके प्रभाव को कम करने के लिए पहाड़ी महिलाओं को आर्थिक मजबूती दी जा सकती है। आयोग ने यह भी देखा कि आपदाओं के दौरान सबसे ज्यादा महिलाएं ही अपनी सूझबूझ और साहस से परिवार का साथ देती हैं। वे अपने बच्चों और परिवार के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में भी सबसे कठिन परिस्थितियों में संघर्ष करती हैं।
Special Budget for Women in Disaster-Prone Areas
महिला नीति में आपदा प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं के लिए विशेष बजट रखने का प्रस्ताव दिया गया है, जिसे राज्य सरकार की आने वाली महिला नीति के ड्राफ्ट में शामिल कर लिया गया है। इस नीति के लागू होने से पहाड़ की महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं के समय परिवार के पालन-पोषण में किसी पर निर्भर नहीं रहेंगी।
Field Survey and Feedback from Women in Affected Areas
इस पहल के तहत, महिला सशक्तिकरण विभाग की टीम गोपेश्वर और चमोली जैसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं से बातचीत कर रही है और सर्वे जारी है। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल खुद अपनी टीम के साथ इन क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं।
Incorporating Feedback into State Women Policy
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि आयोग ने महिला नीति में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं, जिनमें सबसे अहम आर्थिक सशक्तिकरण है। उनका मानना है कि महिलाएं आपदा के समय अपने परिवार के लिए सबसे बड़ी सहारा बनती हैं, और ऐसे में उन्हें आर्थिक आत्मनिर्भरता से लैस किया जाना चाहिए ताकि वे किसी के सामने आर्थिक रूप से निर्भर न हों।
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