देहरादून – प्रदेश में पहली बार कांच उद्योग समेत अन्य उपयोगों के लिए सिलिका रेत के खनन की तैयारी शुरू की जा रही है। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग ने उत्तरकाशी में नौ जगहों (215 हेक्टेयर) को चिह्नित किया है, जहां से हर साल 15 लाख टन सिलिका रेत निकालने की योजना है।
खनन का सत्यापन कार्य जारी
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के अधिकारी इस समय चिह्नित जगहों का सत्यापन कर रहे हैं। इन क्षेत्रों की भूमि का राजस्व, वन विभाग या निजी स्वामित्व के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। विभाग का कहना है कि सिलिका रेत से संबंधित टेस्टिंग का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है।
खनन प्रक्रिया की तैयारी
सिलिका रेत के खनन के लिए कई प्रक्रियाओं को पूरा करना आवश्यक है, जिसमें खनन योजना, सीमांकन, पीसीबी की अनुमति और पर्यावरणीय स्वीकृति शामिल हैं। विभाग ने योजना बनाई है कि इस महीने के अंत तक टेंडर से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाए।
सिलिका रेत का उपयोग
सिलिका रेत, जिसे सफेद रेत या औद्योगिक रेत भी कहा जाता है, कांच निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह रेत सिलिका और ऑक्सीजन के मुख्य तत्वों से बनी होती है। इसके अलावा, इसका उपयोग मिट्टी के पात्र, निर्माण सामग्री, पेंट, कोटिंग्स, गोल्फ कोर्स और खेल के मैदानों में भी किया जाता है।
राजस्व की संभावनाएं
यह पहली बार है जब राज्य में सिलिका रेत की निकासी की योजना बनाई जा रही है, जिससे अनुमानित 250 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। महानिदेशक राजपाल लेघा ने बताया कि यह कार्य उत्तरकाशी जिले में शुरू होगा और विभाग सभी आवश्यक प्रक्रियाओं को जल्द पूरा करने के लिए प्रयासरत है।
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