देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े हो गए हैं। गुरुवार को सचिवालय से रवाना होते समय सीएम फ्लीट में शामिल पायलट कार और इंटरसेप्टर वाहन के अचानक खराब हो जाने से सुरक्षा में गंभीर लापरवाही सामने आई।
सचिवालय से निकलते ही बिगड़ी व्यवस्था
दरअसल, मुख्यमंत्री धामी गुरुवार को सचिवालय में राजस्व प्राप्तियों की समीक्षा बैठक कर रहे थे। बैठक समाप्त होने के बाद उन्हें गढ़ी कैंट स्थित हिमालय सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित विश्व अल्पसंख्यक अधिकार दिवस कार्यक्रम में शामिल होना था।
इसी दौरान, जैसे ही सीएम फ्लीट सचिवालय से रवाना हुई, सबसे आगे चलने वाली पायलट कार अचानक बंद पड़ गई। कई प्रयासों के बावजूद वाहन स्टार्ट नहीं हो सका। नतीजतन, सीएम की फ्लीट पायलट कार को वहीं छोड़कर आगे बढ़ गई।
पायलट–इंटरसेप्टर कार बंद, धक्का मारकर करनी पड़ी स्टार्ट
हालात यहीं नहीं रुके। जैसे ही मुख्यमंत्री की फ्लीट सचिवालय गेट से बाहर निकल रही थी, ट्रैफिक क्लियर कराने के लिए तैनात पुलिस की इंटरसेप्टर कार भी मौके पर ही खराब हो गई।
सीएम के रवाना हो जाने के बाद दोनों वाहनों को धक्का मारकर स्टार्ट किया गया, जो सुरक्षा व्यवस्था की तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
पहले भी सामने आ चुकी हैं सुरक्षा में चूक
यह पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही उजागर हुई हो।
- जुलाई महीने में मुख्यमंत्री धामी के कॉर्बेट टाइगर रिजर्व दौरे के दौरान इस्तेमाल की गई जिप्सी की फिटनेस पांच साल पहले ही समाप्त हो चुकी थी। बाद में वन विभाग ने जांच कर संबंधित कर्मचारियों पर कार्रवाई की थी।
- इसके अलावा, एक अन्य घटना में सचिवालय गेट पर खड़ी एक निजी कार के कारण सीएम फ्लीट को करीब आधे घंटे तक इंतजार करना पड़ा था।
पायलट और इंटरसेप्टर कार की भूमिका क्या होती है?
वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था में पायलट और इंटरसेप्टर कार की भूमिका बेहद अहम होती है।
- पायलट कार फ्लीट के सबसे आगे चलती है, जिसमें पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। जरूरत पड़ने पर हूटर बजाकर रास्ता क्लियर कराया जाता है। आमतौर पर वीआईपी फ्लीट में दो पायलट कार होती हैं—एक आगे और एक पीछे।
- इंटरसेप्टर कार ट्रैफिक पुलिस की होती है, जो फ्लीट से कुछ दूरी आगे चलकर यातायात को नियंत्रित करती है और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करती है।




