
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में खड़िया (सोपस्टोन) खनन पर लगी रोक को हटा दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि कानूनी रूप से संचालित पट्टों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने बागेश्वर में खड़िया खनन पर लगी रोक हटाई
यह मामला एसएलपी (C) 23540/2025 के तहत सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिसमें 17 फरवरी 2025 को उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा जिले में सोपस्टोन खनन गतिविधियों पर लगाई गई अंतरिम रोक को चुनौती दी गई थी।
दो-सदस्यीय पीठ—जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आलोक अराधे—ने अपने फैसले में बताया कि राज्य सरकार की जांच में केवल 9 खनन पट्टों में ही अनियमितताएँ पाई गईं, जबकि बाकी 29 पट्टाधारक पूरी तरह नियमों के अनुसार खनन कर रहे थे। ऐसे में सभी पर समान रूप से प्रतिबंध लगाना न्यायसंगत नहीं है।
SC: खनन पर रोक से स्थानीय लोगों की आजीविका पर पड़ेगा असर
कोर्ट ने यह भी कहा कि खनन पर रोक से स्थानीय लोगों की आजीविका और राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसलिए 29 वैध पट्टाधारकों को अपने स्वीकृत माइनिंग प्लान और पर्यावरण अनुमति के अनुसार मशीनों के उपयोग के साथ खनन शुरू करने की अनुमति दी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने 16 सितंबर 2025 के पुराने आदेश का हवाला देते हुए याद दिलाया कि पट्टाधारकों को पहले से निकाले और जमा किए गए सोपस्टोन को बेचने की भी मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है, बशर्ते पूरा रिकॉर्ड प्रस्तुत किया जाए और तय रॉयल्टी का भुगतान किया जाए।



