विज़न 2020 न्यूज: जमीं पे पैर रखकर आसमां कुचल देते हैं। जोश में आते हे जोश में जाते हैं ,जहा भी जाते हैं होश उड़ा देते हैं…जी हां यह कोई मजाक या लतीफा नहीं, बल्कि भारतीय राजपूतों की शान में इस तरह के कसीदे अक्सर पढ़े जाते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक राजपूती शान की यहां चर्चा करने का मतलब क्या है। चलिए हम आपको बताते हैं, हम बात कर रहें राजपूत खानदानी भारत के बब्बर शेर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बारे में, जो ना सिर्फ भारत-पाकिस्तान में बल्कि इस वक्त पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं। भारत-पाक के तल्ख रिश्ते कोई नया नहीं है। इसे सुलझाने के लिए एक नहीं, हजार बार कोशिश की गई। इस सिलसिले में भारत और पाकिस्तान के उच्च पदस्थ राजनेता व राजनयिक सैकड़ों बार दोनों देशों में आ-जा चुके है। पर, 04 अगस्त 2016 को पाकिस्तान की सरजमीं पर भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान में जिस कदर उसे लताड़ लगाई, शायद ही किसी भारतीय नेता ने ऐसा पहले किया होगा। पाकिस्तान में जाकर कई नेताओं को चाटूकारिता करते हुए देखा-सुना गया है। लेकिन काबिल-ए-तारीफ इस बब्बर शेर की दहाड़ आज पूरी दुनिया में गूंज रही है। राजनाथ ने अपने भाषण में आतंकवाद के मुद्दें पर पाक को उसी की जमीं पर घेरा और कहा कि आतंक का समर्थन करने वाले देशों व संगठनों से कड़ाई से निपटा जाना चाहिए। सार्क सम्मेलन से पहले राजनाथ सिंह को आतंकी हाफिज ने पाक ना आने की धमकी दी थी इसके बावजूद भी राजनाथ सिंह, पाकिस्तान की जमीं पर जाकर उसे ऐसी लताड़ लगाई की पाकिस्तान फिर कभी इस राजपूत बब्बर शेर से टकराने के लिए हजार बार सोचेगा। बीजेपी में राजनाथ सिंह कार्यकर्ताओं के सबसे चेहते नेता माने जाते हैं। कभी शिक्षक रहे राजनाथ सिंह ने अपने राजनीतिक करियर में कई उंचाइयां छूईं,लालकृष्ण आडवाणी के विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी के नाम का ऐलान करने वाले राजनाथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे विश्वस्त साथियों में शामिल हैं। भाजपा के दो बार अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह का राजनीतिक उदय गोरखपुर से हुआ जहां वह उत्तर प्रदेश के स्थानीय कॉलेज में भौतिक शास्त्र के अध्यापक थे। वह उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री रहे तो अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में परिवहन और कृषि मंत्री के रूप में काम किया। मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री के तौर पर सक्षम प्रशासक की छाप छोड़ने वाले सिंह इस बार के लोकसभा चुनाव में लखनऊ सीट से जीते हैं। उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के भाभौरा गांव में 10 जुलाई, 1951 को पैदा हुए राजनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में एमएससी की पढ़ाई की और 1971 में मिर्जापुर के केबी पोस्ट डिग्री कॉलेज में व्याख्याता बने। उनका आरएसएस के साथ संबंध 1964 में उस वक्त शुरू हुआ जब वह महज 13 साल के थे। जेपी के आंदोलन में शामिल रहे राजनाथ सिंह को 1975 में आपातकाल के समय गिरफ्तार किया गया और 1977 में उनकी रिहाई हुई। वह 1977 में पहली बार विधायक बने। 1983 में वह प्रदेश भाजपा के सचिव बने। संगठन में कई भूमिकाओं को निभाने के बाद वह कल्याण सिंह की सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने नकल विरोधी कानून लागू किया जिसको लेकर विवाद खड़ा हुआ था। राजनाथ सिंह के परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे और एक बेटी है। राजनाथ सिंह को बीजेपी नेताओं में सबसे प्रिय नेता माना जाता है। बीजेपी में राजनाथ सिंह एक दमदार नेता के रुप में माने जाते है राजनीति गलियारों में इन्हें बीजेपी का चाणक्य भी कहा जाता है। गौरतलब है कि आज भारत की राजनीति से कौन वाकिफ नहीं है। आए दिन नेताओं पर आरोप लगना, राजनेताओं के नये-नये भ्रष्टाचार के मामले सामने आना ,बावजूद इसके आज भी भारत की राजनीति में एक ऐसा बेदाग छवि का नेता होना वाकई देश के लिए गर्व की बात है।