देश के आखिरी गांव में ऐसे मनाया जाता है आजादी का जश्न

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jasanविजन 2020 न्यूज: उत्तराखंड के चमोली जिले के नीति घाटी गमशाली गांव में स्थित दम्फुधार के लोग आज भी आजादी का जश्न उसी तरह मनाते हैं जैसे 69 साल पहले देश आजाद होने पर मनाया गया था। आज भी लोग परम्परागत लोकनृत्य के जरिये आजादी की खुशी का इजहार करते हैं। गौरतलब है की 14 अगस्त 1947 को जैसे ही रेडियो पर प्रसारण हुआ की देश आजाद हो गया है तो सारा देश ख़ुशी से झूम उठा, सीमांत घाटी होने के कारण यहां के लोगों को इसकी सूचना अगले दिन 15 अगस्त 1947 की सुबह मिली। देश की आजादी की सूचना मिलते ही पूरी घाटी के लोग ख़ुशी से झुमने लगे, लोगों ने अपने घरों में आजादी के दीप जलाये, जिसके बाद सभी लोग गमशाली के दम्फुधार में अपने परम्परागत परिधानों को पहनकर एकत्रित हुए। 69 साल पहले की इस परम्परा को यहां के लोगों ने आज भी जीवित रखा है। आज भी 15 अगस्त को सम्पूर्ण घाटी के लोग परम्परागत वेशभूषा धारण कर घरों में आजादी के दीये जलाते हैं। साथ ही तरह-तरह के पकवान भी बनाते हैं,  नीति गांव, गमशाली, फारकिया, बाम्पा सहित दर्जनों गांवों के लोग ढोलों की थापों के साथ आकर्षक झांकियों के रूप में बारी बारी से गमशाली गांव के दम्फुधार में एकत्रित होते हैं, और आजादी का जश्न मनाते हैं।

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