LUCC फाइनेंशियल फ्रॉड: 25 लाख पीड़ितों को न्याय की आस, देहरादून में भड़का बड़ा आंदोलन l

LUCC फाइनेंशियल फ्रॉड मामले को लेकर पीड़ितों ने देहरादून के एकता विहार में आंदोलन शुरू कर दिया हैl

देहरादून: उत्तराखंड में LUCC चिटफंड घोटाले से जुड़े 25 लाख से अधिक पीड़ितों का सब्र अब टूटने लगा है. लंबे समय से धरना-प्रदर्शन कर रहे पीड़ितों ने अब देहरादून के एकता विहार में आमरण अनशन शुरू कर दिया है. पीड़ितों की मांग है कि सरकार इस मामले में ठोस कार्रवाई कर दोषियों को जल्द सजा दिलाए और उनका पैसा वापस करवाए.

100 करोड़ से ज्यादा का घोटाला:
“लोनी अर्बन मल्टी स्टेट क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी” (LUCC) उत्तराखंड के अब तक के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जा रहा है. इस घोटाले में 25 लाख से अधिक लोगों के करीब 100 करोड़ रुपये डूब गए हैं. कंपनी ने पहाड़ी जिलों समेत प्रदेशभर में 37 ब्रांच खोली थीं और ज्यादा रिटर्न का लालच देकर करोड़ों रुपये निवेश कराए. कंपनी ने विज्ञापनों और सेमिनारों में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की फोटो तक इस्तेमाल की, जिससे लोगों को लगा कि यह पूरी तरह सरकारी मान्यता प्राप्त योजना है.

CBI जांच की तैयारी:
इस मामले में विजिलेंस जांच जारी है और अब तक 10 अलग-अलग मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. कई आरोपी गिरफ्त में आ चुके हैं, जबकि मुख्य आरोपी समीर अग्रवाल दुबई में बैठा है. सरकार ने इस मामले को CBI को सौंपने का नोटिस जारी किया है, जो अभी केंद्र की स्वीकृति का इंतजार कर रहा है.

पीड़ितों का दर्द:
रुद्रप्रयाग की रोशनी गौड़ ने बताया कि प्रदेशभर में 25,000 एजेंट बनाए गए जिन्होंने करीब 25 लाख लोगों से निवेश कराया. “मैंने खुद 60 लाख रुपये लगाए हैं. इसमें मेरे अपने भी पैसे हैं और कई रिश्तेदारों के भी,” उन्होंने कहा. वहीं सुशीला नेगी नाम की पीड़िता ने बताया कि उन्होंने 22 लाख रुपये लगाए थे, जिसमें से 6 लाख उनके खुद के थे.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
LUCC घोटाले को लेकर अब राजनीति भी तेज हो गई है. पीड़ितों का आरोप है कि कुछ बड़ी राजनीतिक हस्तियां इसमें शामिल हो सकती हैं, जिस वजह से कार्रवाई टल रही है. कांग्रेस प्रवक्ता प्रतिमा सिंह ने कहा कि “बीजेपी सरकार की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला हुआ और गरीबों के हजारों करोड़ रुपये डूब गए. यह सीधे तौर पर सरकार की नाकामी और संरक्षण का परिणाम है.”

पीड़ितों का कहना है कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है.

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