Janmashtami 2025: जन्माष्टमी का पर्व आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूजन मध्यरात्रि से लेकर रात 12:43 बजे तक करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस अवसर पर श्रद्धालु उपवास रखते हैं, मंदिरों और घरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप की पूजा की जाती है।
पूजन के नियम और सावधानियां:
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व्रत के दिन सात्विकता का विशेष ध्यान रखें, मन, वचन और कर्म से पवित्र रहें।
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उपवास के दौरान अन्न ग्रहण न करें, केवल फलाहार या जल से व्रत रखें।
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भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से पंचामृत स्नान कराएं।
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श्रीकृष्ण जन्म के समय शंख, घंटी और मृदंग बजाएं, साथ ही ‘नंद के आनंद भयो’ जैसे भजन गायें।
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रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म होते ही झूले में बालगोपाल को विराजमान करें और उनका आरती करें।
इस अवसर पर श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करने जाते हैं और रात्रि जागरण करते हैं। कई स्थानों पर दही हांडी का आयोजन भी किया जाता है, जो श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं की स्मृति दिलाता है।
यह पर्व न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, करुणा और धर्म की शक्ति का संदेश भी देता है।