नई दिल्ली – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने होली से ठीक पहले देश को एक और बड़ी उपलब्धि दी है। इसरो ने अपने स्पैडेक्स उपग्रह की सफलतापूर्वक अनडॉकिंग कर ली है, जिससे चंद्रयान-4 और अन्य महत्वाकांक्षी मिशनों के लिए रास्ता साफ हो गया है। इसरो द्वारा उपग्रहों के जोड़ने और अलग करने की प्रक्रिया को क्रमशः डॉकिंग और अनडॉकिंग कहा जाता है।
इसरो के अनुसार, स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य उपग्रहों को एक साथ जोड़ने और फिर अलग करने की तकनीकी प्रक्रिया का परीक्षण करना था, जिसे वह सफलतापूर्वक अंजाम दे चुके हैं। इस सफलता से भारत के चंद्रमा मिशन, मानव अंतरिक्ष उड़ान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) जैसे भविष्य के मिशनों को बढ़ावा मिलेगा।
स्पेडेक्स मिशन का इतिहास
स्पैडेक्स मिशन की शुरुआत पिछले साल 30 दिसंबर को हुई थी, जब इसरो ने दो उपग्रहों – एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को कक्षा में स्थापित किया था। 16 जनवरी को इसरो ने दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक डॉक किया था, और अब 13 मार्च को उपग्रहों की अनडॉकिंग की प्रक्रिया भी पूरी हो गई।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसरो की इस सफलता के लिए टीम को बधाई दी। उन्होंने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। स्पैडेक्स उपग्रहों की अविश्वसनीय डी-डॉकिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान-4 और गगनयान जैसे मिशनों को नई दिशा मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निरंतर संरक्षण इस उत्साह को और बढ़ाता है।”
मिशन के फायदे
स्पैडेक्स मिशन की सफलता भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी भूमिका को और सुदृढ़ करती है। इस मिशन के तहत भारत अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना की योजना में एक कदम और आगे बढ़ा है। 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना है, जिसमें पांच मॉड्यूल होंगे। इसके अलावा, यह तकनीकी सफलता उपग्रहों की मरम्मत, ईंधन भरने, मलबे को हटाने जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के लिए आधार तैयार करेगी।
चंद्रयान-4 और अन्य मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अंतरिक्ष यान और उपकरणों के लिए आवश्यक डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीकी प्रक्रियाओं को सुरक्षित और प्रभावी बनाता है।
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