देहरादून – पुलिस अब आने वाले समय में अपने डाटा को सुरक्षित रखने के लिए किसी अन्य एजेंसी पर निर्भर नहीं रहेगी। प्रदेश में जल्द ही एक अत्याधुनिक डाटा सेंटर की स्थापना की जाएगी, जहां पुलिस अपने सभी महत्वपूर्ण डाटा की निगरानी स्वयं करेगी। इस सेंटर की सुरक्षा के लिए पुलिस को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
यह पहल पुलिस के साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत की जाएगी, जिसकी लागत 30 करोड़ रुपये से अधिक होगी। इस सेंटर में पुलिस कर्मचारियों को डार्क वेब के रहस्यों को समझने और उन्हें सुलझाने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही, पुलिस का रिसर्च एंड डवलपमेंट (आरएंडडी) विंग भी इसी सेंटर में कार्य करेगा।
पुलिस ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही शासन को भेजा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है, विशेषकर हालिया समय में प्रदेश के डाटा सेंटर पर हुए हमले के बाद। इस हमले में पुलिस का सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट सबसे अधिक प्रभावित हुआ था और कुछ डाटा भी चोरी कर लिया गया था।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की प्रमुख विशेषताएं
1. स्टेट ऑफ द आर्ट साइबर फोरेंसिक लैब: पुलिस साइबर और कंप्यूटर फोरेंसिक जांच को अपने स्तर पर कर सकेगी।
2. एडवांस साइबर ट्रेनिंग लैब: यहां पुलिसकर्मियों को विश्वस्तरीय साइबर मामलों की विवेचना का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
3. डाटा सेंटर: पुलिस अपनी वेबसाइटों और एप का डाटा इस डाटा सेंटर में स्टोर करेगी।
4. रिसर्च एंड डवलपमेंट विंग: नए-नए टूल विकसित किए जाएंगे, ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके।
प्रमुख कार्य
- वेबसाइटों का बेहतर रखरखाव किया जाएगा।
- डार्क वेब की चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- साइबर रिसर्च कर नए तरीकों को समझा जाएगा।
- डाटा ट्रांसफर की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।
डॉ. नीलेश आनंद भरणे, आईजी कानून व्यवस्था एवं पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि साइबर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए प्रस्ताव लगभग तैयार है। इसके तहत पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर प्रशिक्षण दिया जाएगा और डाटा सेंटर की व्यवस्थाएं भी सुदृढ़ की जाएंगी।
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