नई दिल्ली – भारत को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और इंटरपोल के साथ मिलकर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक सदस्य को रवांडा से भारत वापस लाने में सफलता प्राप्त की है। इस आतंकवादी पर बंगलूरू में आतंकवादी साजिश रचने का आरोप था, और इसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड नोटिस जारी किया था।
साजिशों का खुलासा
सीबीआई के अनुसार, एनआईए ने सलमान रहमान खान के खिलाफ आतंकवादी साजिश रचने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने और आतंकवादी गतिविधियों में मदद करने का मामला दर्ज किया था। वह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का सदस्य है और बंगलूरू में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की सप्लाई कर रहा था।
एनआईए की कार्रवाई और सीबीआई का सहयोग
2023 में, एनआईए ने बंगलूरू में आतंकवादी साजिश का मामला दर्ज किया था और सीबीआई ने इंटरपोल से खान के खिलाफ रेड नोटिस जारी करवाया था। खान की तलाश के लिए इसे वैश्विक स्तर पर सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भेजा गया था। बाद में पता चला कि खान रवांडा में है, जहां उसे गिरफ्तार किया गया।
अंतरराष्ट्रीय समन्वय से सफल ऑपरेशन
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि भारतीय अधिकारियों ने इंटरपोल के साथ समन्वय करते हुए रवांडा के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो से मदद ली। आज, यानी 28 नवंबर को सलमान रहमान खान को रवांडा से भारत लाया जा रहा है।
पिछले ऑपरेशनों से जुड़ी सफलता
यह ऑपरेशन इंटरपोल के साथ एक सफल समन्वय के बाद हुआ है, जिसमें दो अन्य आरोपी, जो भारत में वांछित थे, को भी सऊदी अरब से वापस लाया गया। इनमें से एक आरोपी, बरकत अली खान, 2012 के दंगों और विस्फोटक पदार्थों के मामले में सऊदी अरब से भारत लाया गया था, जबकि दूसरा आरोपी, रेहान अरबिकलारिक्कल, केरल में एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के आरोप में वांछित था।
सलमान खान की गिरफ्तारी
सलमान रहमान खान को सितंबर में रवांडा में गिरफ्तार किया गया था। वह किगाली में एक छोटी दुकान चला रहा था, और भारतीय अधिकारियों के अनुरोध पर उसे गिरफ्तार किया गया था। रवांडा के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था और भारत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था।
प्रत्यर्पण की प्रक्रिया
रवांडा में, खान को भारत को सौंपे जाने से पहले हथकड़ी बांधकर एयरपोर्ट पर लाया गया। रवांडा और भारत के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है, लेकिन पारस्परिकता के सिद्धांत पर इस मामले को मंजूरी दी गई। अधिकारियों का कहना है कि रवांडा अब अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं रह सकता।
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