देहरादून – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा की उपस्थिति में बुधवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखंड सरकार और आईटीबीपी के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। यह समझौता वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत आईटीबीपी की उत्तराखंड में तैनात वाहिनी के लिए स्थानीय उत्पादों—जिंदा बकरी/भेड़, चिकन और मछली—की आपूर्ति के लिए किया गया है। समझौता ज्ञापन पर उत्तराखंड शासन की ओर से सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम और आईटीबीपी के आईजी संजय गुंज्याल ने हस्ताक्षर किए।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “इस समझौते से स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार होगा और उन्हें यह एहसास होगा कि वे देश की सुरक्षा से जुड़े हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोग देश के प्रहरी हैं, और आईटीबीपी को राज्य के स्थानीय उत्पादों के प्रचार में ब्रांड एंबेसडर की भूमिका निभानी चाहिए।
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि यह निर्णय पशुपालकों और मत्स्य पालकों की आजीविका बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया, यह कहते हुए कि इससे पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
इस समझौते के जरिए प्रदेश की 80 से अधिक सहकारी समितियों के माध्यम से लगभग 11 हजार पशुपालकों को सीधा लाभ होगा, जिनमें प्रमुख रूप से 7 हजार महिलाएं शामिल हैं। भेड़-बकरी पालकों के लिए 10 हजार, कुरकुट से लगभग 800 और मछली पालकों के लिए 500 से अधिक लाभान्वित होंगे। उत्तराखंड में यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में भेड़, बकरी, मछली और मुर्गी पालकों को विपणन के लिए बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे सालाना 200 करोड़ के कारोबार का अनुमान है।
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