नैनीताल/हल्द्वानी – न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अदालत) ने 23 दिसम्बर को अभियुक्त अशोक कुमार सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 के तहत तीन वर्ष की कठोर कारावास और 25,000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। यह फैसला एक महत्वपूर्ण घटना पर आधारित है, जिसमें मुख्य शिक्षा अधिकारी, अल्मोड़ा, अशोक कुमार सिंह द्वारा रिश्वत लेने का मामला सामने आया था।
शिकायत में क्या था आरोप?
शिकायतकर्ता रिजवानुर्रहमान ने 25 अप्रैल 2017 को सतर्कता अधिष्ठान कार्यालय हल्द्वानी में एक शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि अशोक कुमार सिंह, जो उस समय अल्मोड़ा में मुख्य शिक्षा अधिकारी थे, ने उनके मोहल्ले में स्थित फैजे आम सिटी मॉडर्न जूनियर हाईस्कूल की मान्यता के लिए 15,000 रुपये की रिश्वत मांगी थी।
रंगे हाथों पकड़े गए थे आरोपी
शिकायत के बाद, निरीक्षक पंकज उप्रेती के नेतृत्व में एक ट्रैप टीम का गठन किया गया। 28 अप्रैल 2017 को ट्रैप टीम ने अशोक कुमार सिंह को 15,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। रिश्वत की रकम मौके पर ही बरामद की गई। इसके बाद, हल्द्वानी के सतर्कता अधिष्ठान थाने में मामला दर्ज किया गया और आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू की गई।
13 गवाहों ने दी गवाही
अभियोग की जांच निरीक्षक संजय कुमार पाण्डे ने की और अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष ने 13 गवाहों की गवाही पेश की, जबकि अभियोग की पैरवी मुख्य आरक्षी सतपाल राम चिन्याल ने की।
कड़ी सजा
अशोक कुमार सिंह को 3 वर्ष की कठोर सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। यदि वह जुर्माना अदा नहीं करते, तो उन्हें अतिरिक्त 6 महीने का साधारण कारावास भुगतना होगा। इस मामले में कड़ी सजा देने के साथ न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
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