सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि समाज कल्याण योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं हैं. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने यह फैसला दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सरकार द्वारा जारी किए गए विभिन्न आदेशों को चुनौती दी थी, जिनमें विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य बताया गया.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि आधार जनहित स्कीम के लिए अनिवार्य नहीं है. लेकिन गैर-लाभकारी योजनाओं (जैसे बैंक खातों के खोलने या टैक्स रिटर्न करने से जोड़ने) के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.
केन्द्र सरकार ने हाल ही में सरकार की करीब एक दर्जन योजनाओं के लाभार्थियों के लिए आधार को अनिवार्य करने का फैसला लिया है. इन योजनाओं में मिड-डे मील स्कीम भी शामिल थी. हालांकि, इस पर बाद में छूट देने का फैसला लिया गया.
कहां-कहां जरूरी होगा आधार
> अगर आपने मोबाइल नंबर को आधार से नहीं जोड़ा तो वो बंद हो जाएगा. एक साल के अंदर ये प्रक्रिया पूरी होनी है.
> सरकार के नए फरमान के मुताबिक सभी मौजूदा मोबाइल सब्सक्राइबर्स का वेरिफिकेशन किया जाएगा और ये वेरिफिकेशन आधार बेस्ड ई-केवाईसी के जरिए होगा.
> सभी सर्विस प्रोवाइडरों को विज्ञापन और एसएमएस से सब्सक्राइबर्स को जानकारी देनी होगी. 6 फरवरी 2018 तक वेरिफिकेशन का काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है.
> टेलीकॉम विभाग ने इस मुद्दे पर यूआईडीएआई, ट्राई और टेलीकॉम कंपनियों के साथ बैठक की है. टेलीकॉम विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के 6 फरवरी को दिए निर्देश के मुताबिक ये फैसला लिया है. बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों को हर हफ्ते रि-वेरिफाइड सब्सक्राइबर्स की जानकारी अपडेट करनी होगी.
> पहले कंपनियां वेरिफिकेशन कोड को देखेंगी और ई-वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के तहत मोबाइल नंबर पर वेरिफिकेशन कोड भेजा जाएगा.
> ई-केवाईसी के लिए अलग से एप्लिकेशन फॉर्म होगा और एप्लिकेशन फॉर्म में आधार नंबर के अलावा डिटेल्स देने होंगे. ई-केवाईसी के बाद सब्सक्राइबर डाटाबेस में अपडेट करना होगा. एक से ज्यादा मोबाइल नंबर होने पर दोबारा वेरिफिकेशन करना होगा.

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