

उत्तराखंड इस साल स्थापना दिवस की सिल्वर जुबली मना रहा है। बीते 25 सालों में स्वास्थ्य ढांचे में कई सुधार हुए हैं।
टेलीमेडिसिन और हेली एंबुलेंस से लोगों को इलाज भी मिल रहा है। लेकिन अब भी कुछ कदम ऐसे हैं जो उठाए जाने जरूरी हैं।
25 साल में स्वास्थ्य सुविधाओं में आए कितने बदलाव ?
साल 2000 में उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था। तब यहां सरकारी अस्पताल महज़ 10 थे लेकिन आज उत्तराखंड में पांच राजकीय मेडिकल कॉलेज के साथ 2614 सरकारी चिकित्सा इकाइयों का ढांचा खड़ा है। ये बात को दर्शाता है कि प्रदेश में दूर-दराज क्षेत्रों तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाने की कोशिश जारी है। लेकिन अज भी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। बात करें विशेषज्ञ चिकित्सकों की तो इनकी संख्या तो बेहद ही कम है।
टेलीमेडिसिन और हेली एंबुलेंस बेहतर प्रयास
प्रदेश में सुदूरवर्ती क्षेत्रों में शुरू की गई टेलीमेडिसिन सेवा टेलीमेडिसिन सेवा लोगों के लिए मददगार साबित हो रही है। इस योजना के तहत प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीज सीधे देहरादून और श्रीनगर मेडिकल कालेजों के विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपनी रिपोर्ट के संबंध में चर्चा कर दवाएं ले रहे हैं। इसके साथ ही हेली एंबुलेंस पहाड़ों पर लोगों के लिए संजीवनी साबित हो रही है। सड़क बंद होने या एमरजेंसी में हेली एंबुलेंस कारगर साबित हो रही है। कई लोगों की इस से जान बच रही है।
पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाओं का है अभाव
जहां एक ओर टेलीमेडिसन और हेली एंबुलेंस के कारण कई मरीजों की जान बची है। तो वहीं दूसरी ओर आज भी ये उपाय पहाड़ों पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को अच्छा बनाने के लिए काफी नहीं है। मैदानी क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य सुविधाओं लोगों को मिल रही हैं। लेकिन पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर आज भी लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है।
अस्पताल पहुंचने से पहले लोगों को कई किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचना पड़ रहा है। एंबुलेंस उपल्बध ना हो पाने के कारण डंडी-कंडी या निजी वाहन से लोग अस्पताल पहुंच पाते हैं। पहाड़ों पर अस्पतालों में सभी सुविधाएं ना होने के कारण कई स्थानों पर ये केवल रेफर सेंटर बनकर रह गए हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ोसी राज्य से कम खर्च करता है उत्तराखंड
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल से भी कम अपनी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है। इस खर्च में काफी अंतर देखने को मिलता है।
2023-24 (%) 2024-25 (BE) (%) औसत (2020-24)
हिमाचल प्रदेश – 7.8% 7.5% 7.6%
उत्तराखंड – 6.7% 6.5% 6.4%
अंतर – 1.1% -1.0% -1.2%



