देहरादून – भारत में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऑटो इंडस्ट्री में री-साइकलिंग पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने कुछ साल पहले पुराने वाहनों के स्क्रैपिंग के लिए एक नीति लागू की थी, और अब सरकार इस दिशा में एक बड़ा बदलाव करने जा रही है। नई नीति के तहत, वाहन कंपनियों को अपने नए वाहनों में इस्तेमाल होने वाले स्टील में कम से कम 8% री-साइकिल स्टील का इस्तेमाल करना होगा। यह नियम अप्रैल से लागू होगा और भविष्य में इसे 18% तक बढ़ाया जा सकता है।
री-साइकलिंग से घटेगा प्रदूषण और खर्च
नई नीति के तहत, पुराने वाहनों से निकाले गए स्टील का उपयोग नए वाहनों के निर्माण में किया जाएगा। इससे एक ओर जहां स्टील खनन से होने वाला प्रदूषण कम होगा, वहीं नई स्टील की खरीद पर होने वाला खर्च भी घटेगा। कंपनियां उन गाड़ियों के स्टील का इस्तेमाल कर सकती हैं जिनकी उम्र पूरी हो चुकी है या जिन्हें स्क्रैप किया गया हो।
स्क्रैपिंग डीलर्स और यूनिट्स के लिए नए निर्देश
कंपनियों को ऑथोराइज्ड स्क्रैपिंग डीलर्स से स्टील खरीदने का विकल्प मिलेगा या वे खुद स्क्रैपिंग और री-साइकिल यूनिट खोल सकती हैं। इसके लिए कंपनियों को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पोर्टल पर रजिस्टर करना होगा। सीपीसीबी स्क्रैप किए गए स्टील के वजन के आधार पर EPR सर्टिफिकेट जारी करेगा, जिससे कंपनियां अपने री-साइकिलिंग प्रोसेस को पूरा कर सकेंगी।
स्क्रैपिंग फैसिलिटी की संख्या में इज़ाफा
भारत में वर्तमान में 82 रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग फैसिलिटी हैं और सरकार का लक्ष्य अगले तीन महीनों में इस संख्या को 100 तक पहुंचाना है। राज्य सरकारें अगले दो महीने में नए स्क्रैपिंग फैसिलिटी की स्थापना के लिए नीतियां घोषित कर सकती हैं।
क्या होगा उपभोक्ताओं को फायदा?
अगर आपकी कार की उम्र पूरी हो चुकी है, जैसे कि डीजल वाहनों के लिए 10 साल और पेट्रोल वाहनों के लिए 15 साल, तो आप अपनी कार को रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग फैसिलिटी में दे सकते हैं। यहां पर स्क्रैपिंग करने पर आपको एक सर्टिफिकेट मिलेगा, जिसका उपयोग आप नई कार खरीदते समय डिस्काउंट के रूप में कर सकते हैं।
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