प्रदेश में लगातार जल रहे जंगल, सैकड़ों हेक्टेयर वन संपदा को नुकसान, वनाग्नि नियंत्रण के लिए नोडल अधिकारी नामित।

नैनीताल – जंगल की आग की दृष्टि से 36 दिन भारी रहे हैं। इस दौरान कुमाऊं में चार सौ से अधिक वनाग्नि की घटनाएं हुईं। इसमें सैकड़ों हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। वन मुख्यालय ने वनाग्नि नियंत्रण के लिए जनपदवार नोडल अधिकारी भी नामित किए हैं।

जंगल में आग की घटनाएं सर्दियों में शुरू हो गईं थीं लेकिन, इनकी संख्या कम थी। पर बर्फबारी, बारिश न होने से जंगल शुष्क हो गए। नवंबर 2023 से एक अप्रैल 2024  तक कुमाऊं में जंगल की आग की 9 घटनाएं जंगलात ने रिपोर्ट की थी। इसके अलावा गढ़वाल मंडल में 15 और वन्यजीव क्षेत्र में 15 घटनाएं हुईं थीं।

कुमाऊं मंडल में वनाग्नि की घटनाओं में 11.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनों को नुकसान पहुंचा। इसके बाद जंगल की आग की घटनाएं बढ़ गईं। छह मई तक कुमाऊं में वनाग्नि की संख्या 482 हो गई। इन घटनाओं में 663 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वन संपदा को नुकसान पहुंचा।

एयरफोर्स के हेलीकाप्टर से लेकर एनडीआरएफ तक की मदद
जंगल की आग को बुझाने के लिए एयर फोर्स का हेलीकाप्टर भी अप्रैल माह में पहुंचा था और उसने नैनीताल जनपद में जंगल की आग बुझाने के लिए पानी की बौछार की थी। इसके अलावा नैनीताल वन प्रभाग में जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए एनडीआरएफ की टीम भी पहुंची। इसके अलावा फारेस्ट ट्रेनिंग अकादमी के प्रशिक्षु रेंजरों को भी वनाग्नि  नियंत्रण के कार्य में सहयोग के लिए भेजा गया।

प्रदेश में नवंबर से अब तक आग की 930 घटनाएं
प्रदेश में नवंबर-2023 के बाद से छह मई तक जंगल की आग की 930 घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें गढ़वाल में 365, कुमाऊं में 491 और वन्यजीव क्षेत्र में 74 घटनाएं हुईं हैं। इन घटनाओं में 1196.48 हेक्टेयर क्षेत्रफल में वनों को नुकसान हुआ है।

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